यूँ ही नहीं होती दादी इंदिरा से प्रियंका गांधी की तुलना, दोनों के बीच हैं ये 10 दिलचस्प समानताएं

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10 similarities between Indira Gandhi and Priyanka Gandhi that will awe you

प्रियंका गांधी की पॉलिटिक्‍स में एंट्री हो चुकी है। उन्‍हें नरेंद्र मोदी और बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश पूर्वांचल की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। प्रियंका ने सोमवार को अपने भाई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ लखनऊ में रोड शो कर मिशन यूपी की शुरुआत भी कर दी है। प्रियंका की सियासी एंट्री को कांग्रेस का ब्रह्मास्त्र बताया जा रहा है। अब ये तो लोकसभा चुनाव के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि यूपी में प्रियंका कितनी प्रभावी साबित होती हैं।

बहरहाल, जब से प्रियंका राजनीति के मैदान में उतरी हैं, लोग उनकी तुलना पूर्व प्रधानमंत्री और उनकी दादी इंदिरा गांधी से कर रहे हैं। कांग्रेस के अंदर और बाहर के भी लोगों का मानना है कि प्रियंका और इंदिरा गांधी के बीच कई समानताएं हैं। मसलन, दोनों नेताओं का पहनावा, चाल-ढाल, आक्रामकता, वाक़पटुता और तंज भरे लहज़े में बात कहने की कला काफी मिलती-जुलती है। आइये नजर डालते हैं दादी-पोती के बीच की कुछ समानताओं पर


मिलता-जुलता चेहरा

सालों पहले इंदिरा गांधी जैसी दिखती थीं, आज प्रियंका गांधी हूबहु वैसी ही दिखती हैं। तभी कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता प्रियंका में इंदिरा गांधी की छवि देखते हैं। खुद प्रियंका ने भी कहा है कि उनकी नाक तो बिलकुल दादी इंदिरा की तरह ही नजर आती है। इसके अलावा प्रियंका का हेयरस्टाइल भी इंदिरा गांधी से मैच करता है। दादी की तरह ही प्रियंका छोटे तराशे हुए बाल रखना पसंद करती हैं।

साड़ी में हिट


 

 

इंदिरा और प्रियंका के पहनावे में बहुत समानता है। प्रियंका गांधी जब भी सार्वजनिक मौके पर नजर आती है तो सलीके से पहनी हुई साड़ी में दिखती हैं। इंदिरा गांधी की पसंदीदा पोशाक भी साड़ी ही थी। हालांकि, प्रियंका कभी-कभार पश्चिमी परिधानों में भी नजर आती हैं। लेकिन देखा जाए तो इंदिरा और प्रियंका के बीच पूरी दो पीढ़ियों का फ़ासला भी है।

चाल-ढाल

कहते हैं कि इंदिरा लोगों को अपनी-सी लगती थीं। वह सहजता से लोगों में घुलमिलकर बातें करती थीं। उनमें विनम्रता भी थी। प्रियंका इन चीज़ों में इंदिरा से काफ़ी मिलती-जुलती हैं। वह भी लोगों से अच्छे से बातें करती हैं। पुरानी पीढ़ी के लोगों को प्रियंका गांधी में अपनी रोल मॉडल इंदिरा गांधी दिखती हैं, तो नई पीढ़ी को प्रियंका में नज़र आता है आत्मविश्वास से भरा चेहरा।

तेजतर्रार वक्ता

लोगों को प्रियंका के  बोलने और उनकी भाषण देने की शैली में भी इंदिरा ही याद आती हैं। प्रियंका तेजतर्रार वक्ता हैं। हिंदी पर पकड़ उनकी बहुत अच्छी है। वह अपने बातचीत की शैली और भीड़ के साथ एक जीवंत और सहानुभूतिपूर्ण संवाद कौशल से कांग्रेस में एक राजनीतिक ऊर्जा का प्रवाह कर सकती हैं। नरेंद्र मोदी भाषण कला में प्रवीण हैं, उन्हें अपने शब्दों और हाव-भाव से जनता को सम्मोहित करना आता है। इस मामले में राहुल गांधी उन्हें टक्कर नहीं दे पाए हैं। ऐसे में प्रियंका कांग्रेस के काम आ सकती हैं।

यूपी से एंट्री

 

इंदिरा गांधी के नक्शेकदम पर चलते हुए प्रियंका ने उत्तर प्रदेश से अपनी सियासी पारी शुरू की है। उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर राहुल गांधी ने यूपी कांग्रेस में जान फूंकने की जिम्मेदारी सौंपी है। मुमकिन है कि आगामी लोकसभा चुनाव में प्रियंका खुद चुनावी मैदान में भी उतरें।

लोगों के बीच अपील

उत्तर प्रदेश में इंदिरा गांधी की जो अपील थी लोगों के बीच, कमोबेश वैसी ही अपील प्रियंका की है। ऐसे में प्रियंका के आने के कारण उत्तर प्रदेश में कुछ फ़र्क तो नज़र आएगा। वहां पर बड़ा हिस्सा ऐसा है जो अभी भी इंदिरा गांधी को मानता है। इसके अलावा भीड़ को आकर्षित करने की कला भी प्रियंका वाड्रा को बखूबी आती है। इसलिए प्रियंका बीजेपी के सामने इस तरह की चुनौती पेश कर सकती हैं, जिसका भाजपा ने बीते साढ़े चार वर्षो में सामना नहीं किया है।

राजनीतिक समझ

दादी की तरह प्रियंका भी  राजनीतिक समझ रखती हैं। वह पहले से ही पर्दे के पीछे से कांग्रेस के लिए काम करती रही हैं। हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री तय करने को लेकर कांग्रेस में जो ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी जिसे प्रियंका ने ही सुलझाया था। उन्होंने समस्या सुलझा दी और ऐसा भी नहीं हुआ कि कोई नाराज़ या असंतुष्ट हो गया। कांग्रेस के पुराने नेताओं की मानें तो इंदिरा गांधी ने कभी ये भविष्यवाणी की थी कि प्रियंका गांधी वक्त के साथ-साथ उनकी राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर उभरेंगी।

अपेक्षाएं

इंदिरा के चेहरे पर लोगों को ऐसी उम्मीद नज़र आती थी कि वह देश के लिए कुछ कर सकती हैं। प्रियंका के चेहरा, उनकी शैली और पहनवाने से लोगों को लगता है कि इंदिरा उनके बीच हैं और वे इंदिरा गांधी जैसा ही मज़बूत नेता चाहते हैं। प्रियंका वैसी ही मज़बूत नेता साबित होंगी या नहीं, यह वक़्त ही बताएगा।

चुनौती

इंदिरा गांधी के सामने राममनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गज नेता थे। उसके बावजूद वह सफलता से राजनीति करती रहीं। 1977 के चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद इंदिरा गांधी ने अपना करिश्मा दिखाया और वापस सत्ता में आ गईं थी। 2014 के चुनाव में कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी हार के बाद अभी प्रियंका के सामने नरेंद्र मोदी जैसे लोकप्रिय नेता का मुकाबला करने की चुनौती है। बीजेपी की मजबूत रणनीति के सामने प्रियंका की पार्टी कांग्रेस के लिए करो या मरो जैसी स्थिति है।

परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी

इंदिरा गांधी और उनकी पोती प्रियंका के बीच एक और मजेदार समानता ये है कि दोनों ने ही अपने परिवार की मर्जी के विरुद्ध प्रेम-विवाह किया। जहाँ इंदिरा गांधी ने पिता पं जवाहर लाल नेहरू की इच्छा के विपरीत फिरोज गांधी से ब्याह रचाया था, वहीं प्रियंका ने भी परिवार की मर्जी के खिलाफ व्यवसायी रोबर्ट वाड्रा से शादी की। इंदिरा के दो बच्चे हुए – राजीव और संजय गांधी। प्रियंका के भी दो ही बच्चे हैं – बेटा रेहान और बेटी मिराया।

बेशक प्रियंका गांधी इंदिरा की तरह ही प्रियदर्शनी हैं और लोगों को उनमें इंदिरा का अक्स नजर आता है। लेकिन क्या वे दादी की तरह राजनीति में अपना असर छोड़ने में कामयाब हो पाएंगी ?


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