100 Years of Jamia: गांधीजी ने कहा था- भीख मांग लूंगा लेकिन जामिया को कभी बंद नहीं होने दूंगा

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100 years of Jamia Millia Islamia

100 Years of Jamia: पत्रकारिता और फिल्म (Film) इंडस्ट्री को समेत देश को कई नामचीन बुद्धिजीवी देने वाली जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia millia islamia) आज 100 साल की हो गई है। इस 100 साल के सफर में जामिया यूनिवर्सिटी आज देश के टॉप 10 विश्वविद्यालयों में शामिल है।

कुछ दिनों पहले ही केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय (Education Ministery) ने 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का आंकलन किया जिसमें जामिया को पहला स्थान मिला है। असल में जामिया राष्ट्रीय आंदोलन की देन है , आइए नजर डालते हैं आजादी की लड़ाई में शामिल इस यूनिवर्सिटी के इतिहास पर।


इस बात से तो हम सभी अच्छे से वाकिफ है कि देश को आजाद कराने के लिए कई आंदोलन चलाए गए और उन्हीं में असहयोग और खिलाफत आंदोलन रहे, जिससे जामिया मिल्लिया का जन्म हुआ। जामिया मिल्लिया की स्थापना 1920 में अलीगढ़ में एक संस्थान के रूप में की गई थी।

इसकी नींव स्वतंत्रता सेनानी मौलाना महमूद हसन ने रखी थी। वहीं, जामिया के संस्थापक नेताओं में से अली ब्रदर्स के नाम से मशहूर मुहम्मद अली जौहर और शौकत अली भी थे।अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ये संस्था ऐसे दौर से भी  गुजरी जब गांधीजी (Gandhi ji) को कहना पड़ा था कि “मुझे चाहें भीख ही क्यों न मांगनी पड़े, लेकिन मैं इस संस्था को बंद नहीं होने दूंगा।”

आज यह देश की पहली ऐसी संस्था है जहां नर्सरी (Nursery) से लेकर पीएचडी (Phd) तक की पढ़ाई होती है। 20वीं सदी के पहले दशक में ब्रिटेन ने मुस्लिम देश तुर्की में दखल देना शुरू किया। वहां के खलीफा को मुस्लिम के धार्मिक प्रधान के रूप में देखा जाता था।


ऐसे में अंग्रेजों पर दबाव बनाने के लिए अली ब्रदर्स, मालैाना आजाद, हसरत मोहानी और हकीम अजमल खान की अगुवाई में पूरे जोरों से खिलाफत आंदोलन चलाया गया, जो बाद में 1924 में खलीफा पद समाप्त होने के साथ ही खत्म हो गया। इसी दौरान महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1 अगस्त 1920 को अंग्रेजों के खिलाफ पहला जन आंदोलन शुरू हुआ।

साल 1920 से 1922 के बीच महात्‍मा गांधी और भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्‍व में असहयोग आंदोलन चलाया गया, तब महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के जरिए चलाए जा रहे सभी शैक्षणिक संस्थाओं का पूर्णतय विरोध करने को कहा। जिसके बाद राष्ट्रवादी शिक्षकों और छात्रों ने एएमयू को छोड़ दिया, क्योंकि ये सभी ब्रिटिश सहयोग का विरोध कर रहे थे।

इस तरह जामिया मिल्लिया इस्लामिया उन शिक्षण संस्थानों में से एक रहा है, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के जरिए चलाए जा रहे संस्थानों का बहिष्कार कर स्वतंत्रता संग्राम के राष्ट्रवादी आह्वान के जवाब में अस्तित्व में आया। असहयोग और खिलाफत आंदोलन के दौरान ही 29 अक्टूबर 1920 को अलीगढ़ में जामिया की स्थापना एक संस्थान के रूप में की गई।

जामिया की स्थापना में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भूमिका अहम रही। इसके बाद में जामिया को साल 1925 में अलीगढ़ से दिल्ली लाया गया, तब जामिया को दिल्ली के करोलबाग में शिफ्ट किया गया। फिर इसे 1 मार्च 1935 को इसे दिल्ली के ओखला में लाया गया और उसके बाद 1936 में इसे नए कैंपस में शिफ्ट किया गया।

दिसंबर 1988 में भारतीय संसद में एक एक्ट के तहत संस्थान से यूर्निवर्सिटी का दर्जा मिला और तब यह सेंट्रल यूनिवर्सिटी में तब्दील हो गई। एक दौर ऐसा भी रहा जब जामिया आर्थिक संकट से गुजर रही थी, तब  महात्मा गांधी ने कहा था कि जामिया को बचाना है, वो कटोरा लेकर भीख मांगने को भी तैयार हैं।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बारे में नोबेल पुरस्कार विजेता मशहूर कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि भारत के सबसे प्रगतिशील शैक्षिक संस्थानों में से एक है। वहीं, सरोजिनी नायडू ने कहा था तिनका-तिनका जोड़कर और तमाम कुर्बानियां देकर इस संस्था का निर्माण किया गया है।

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