झारखंड (Jharkhand) के 12 हजार वकीलों ने अगर जल्द ही अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन नहीं कराया, तो इनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे। इसके साथ ही सभी वकीलों की वकालत पर रोक लगा दी जाएगी। सत्यापन के लिए झारखंड बार कौंसिल सभी वकीलों को सत्यापन कराने के लिए आखिरी मौका दे रही है।
झारखंड बार कौंसिल से करीब 31 हजार वकील निबंधित हैं और अभी तक 19 हजार ने ही अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया है। बार कौंसिल सभी जिलों के बार संघों को प्रमाणपत्र का सत्यापन कराने के लिए नियमित पत्र भेजती रही है, लेकिन कुछ वकील इसका विरोध भी कर रहे हैं।
राज्य के सभी वकीलों को अपने प्रमाणपत्रों को सत्यापन कराने का निर्देश दिया गया था। लेकिन 12 हजार वकीलों ने इसके लिए फॉर्म नहीं भरा है। सभी वकीलों को अपने प्रमाणपत्रों के साथ एक फॉर्म भर कर देना होता है। फिर बार कौंसिल संबंधित विश्वविद्यालय और संस्थानों में इन प्रमाणपत्रों की जांच के लिए भेजती है।
सत्यापन पूरा होने के बाद वकील को कौंसिल के सभी कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट मिलती है। कल्याणकारी योजनाओं का लाभ और कौंसिल के चुनाव में भाग लेने की अनुमति मिलती है। बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने सभी राज्यों के बार कौंसिल को वकीलों का सत्यापन कराने का निर्देश दिए जाने के बाद उन्हें अंतिम अवसर मुहैया कराया है।
इस दफा बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने देश के सभी विश्वविद्यालयों को राज्य की बार कौंसिल से भेजे गए प्रमाणपत्रों का सत्यापन एक माह में पूरा कर रिपोर्ट भेजने के कड़े निर्देश दिए है। बार कौंसिल ने कहा है कि प्रमाणपत्रों का सत्यापन एक माह में कर दें। इसमें किसी प्रकार का विलंब नहीं किया जाए।
विरोध में उतरें कई वकील
कुछ वकीलों का कहना है कि उनके प्रमाणपत्र गुम हो चुके हैं। इतने साल की लंबी प्रैक्टिस करने के बाद फिर से प्रमाणपत्र की जांच कराने का निर्णय उचित नहीं है। जिनके पास प्रमाणपत्र नहीं है, उनके लिए संबंधित बार कौंसिल से नियमित प्रैक्टिस का प्रमाणपत्र ही मान्य होना चाहिए।