गुजरात में रविवार को एक कार्यक्रम में राज्य के 1500 दलितों ने बड़ा कदम उठाते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया। शाहीबाग स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल मेमोरियल में रविवार को हुए इस कार्यक्रम का आयोजन बुद्ध लाइट इंटरनेशनल एसोसिएशन की गुजरात इकाई की ओर से किया गया था। देश-विदेश के बौद्ध भिक्षुओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान लोगों ने बौद्ध धर्म का पालन करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के दौरान BLIA गुजरात इकाई के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक नौशाद सोलंकी और पूर्व भाजपा सांसद रतिलाल वर्मा भी मौजूद थे। BLIA के गुजरात अध्यक्ष तुषार श्रीपाल ने बताया कि करीब 1400 लोगों ने इस कार्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था।
क्यों अपनाया बौद्ध धर्म
कार्यक्रम में शामिल सौराष्ट्र के सुरेंद्रमगर में रहने वाली मंजुला मकवाना ने बताया, “मैंने इस कार्यक्रम में अपने पति घनश्याम मकवाना और 3 बच्चों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया। बौद्ध धर्म को अपनाने का एकमात्र कारण समानता है। बतौर हिंदू हमें समानता का अधिकार नहीं दिया जा रहा था। दलितों के खिलाफ भेदभाव व अत्याचार के काफी मामले हम देख चुके हैं। खास तौर पर सुरेंद्रनगर इसके लिए कुख्यात है।”
एक ही परिवार के 25 लोगों ने बदला धर्म
अहमदाबाद के नरोदा में रहने वाले निसर्ग परमार पेशे से इंजीनियर हैं। इस कार्यक्रम में बौद्ध धर्म अपनाने वाले वह दूसरे दलित शख्स हैं। निसर्ग के परिवार के करीब 25 लोगों ने इस कार्यक्रम में बौद्ध धर्म अपनाया। वहीं परमार ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा, “हम हिंदू धर्म का पालन करते थे, लेकिन हमें इसमें मौजूद भेदभाव पसंद नहीं है। बौद्ध धर्म समानता का संदेश देता है। ऐसे में हमने बौद्ध धर्म का पालन करने का संकल्प लिया। मैं चाहता हूं कि भारत पूरी दुनिया मे सबसे अच्छा देश बने, लेकिन जातिवाद इस रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट है, जिसमें लोगों के साथ भेदभाव होता है।”
विजयादशमी के मौके पर भी अपनाया था बौद्ध धर्म
इससे पहले गुजरात के महेसाणा से ऐसा मामला सामने आया था, जहां 400 से ज्यादा दलितों ने असमानता और अत्याचार से परेशान होकर धर्म परिवर्तन का फैसला किया था। दलितों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था।