18वीं सदी की भारतीय पेंटिंग के ब्रिटेन से निर्यात पर रोक

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लंदन, 17 नवंबर (आईएएनएस)| ब्रिटेन के संस्कृति मंत्री माइकल एलिस ने शुक्रवार को 18वीं सदी के मध्य उत्तर भारत में पारंपरिक संगीत प्रस्तुति को दर्शाने वाली एक अद्भुत आबरंग चित्र के निर्यात पर रोक लगा दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की खबर के मुताबिक, यह कदम चित्र को विदेश भेजने से रोकेगा और ब्रिटेन की एक गैलरी या खरीदार को इसकी बताई गई कीमत 550,000 पाउंड के मिलान में सक्षम करेगा। इस चित्र को महत्वपूर्ण सांस्कृतिक हितों के रूप में देखा जाता है।

गुलेर के नैनसुख (1710-1778) द्वारा तुरही बजाने वाला यह चित्र उत्कृष्ट लघुचित्र कार्य है, जिसे विशेषज्ञों ने पाई गई दुर्लभ क्षमता करार दिया है।


इस चित्र में सात ग्रामीण संगीतकारों को एक छत पर खड़े हुए दिखाया गया है, जो विभिन्न मुद्राएं बनाए खड़े हैं, और पूरी ताकत से लंबे पहाड़ी भोंपू बजा रहे हैं, जिसे उत्तरी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में ‘तुरही’ कहा जाता है।

ब्रिटेन के डिजिटल, संस्कृति, मीडिया एवं खेल विभाग ने कहा, “गुलेर के नैनसुख का विस्तृत अवलोकन और जटिल दिशात्मक रचना का यह विशिष्ट उपहार एक बेहद शानदार उदाहरण है।”

कलाकार को पहाड़ी आंदोलन के सबसे प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक माना जाता है, जिन्होंने उस अवधि के दौरान भारतीय लघुचित्रों की विशाल व प्रसिद्ध शैली को दुनिया के सामने रखा।


 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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