भारत में कर चोरी के एक से बढ़कर एक मामले आए दिन खूब सुर्खियां बटोरते रहते है। ऐसा ही एक ताजातरीन मामला आजकल सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। मुंबई में रहने वाली एक महिला ने अपनी सलाना की कमाई सिर्फ 1.7 लाख रुपये बताई, लेकिन जब आयकर विभाग के अधिकारियों ने जांच की तो उनके खाते में 196 करोड़ रुपये मिले।
दरअसल ये सारा पैसा स्विस अकाउंट में था। अब मामले में आयकर अपीलीय अधिकरण ने महिला को पेनाल्टी के साथ टैक्स भरने का आदेश दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आयकर विभाग का आरोप है कि मुंबई की रहने वाली रेनु थरानी (80) का एचएसबीसी जिनेवा (स्विस बैंक) में खाता है। वो फैमिली ट्रस्क के नाम से खुले अकाउंट की एक मात्र लाभार्थी हैं।
ये खाता जुलाई 2004 में केमैन आइलैंड्स-आधारित GW इन्वेस्टमेंट के नाम से खोला गया था, जिसमें एक प्रशासक के रूप में परिवार ट्रस्ट को फंड ट्रांसफर किया गया। थरानी ने एक हलफनामा भी दिया था, जिसमें कहा गया कि उनका एचएसबीसी जिनेवा में बैंक खाता नहीं है और न ही वह जीडब्ल्यू इनवेस्टमेंट बैंक में निदेशक या शेयरधारक हैं।
उन्होंने खुद को अप्रवासी बताया और कहा कि अगर ऐसी कोई राशि है, तो उस पर टैक्स लिया जा सकता है। इसके अलावा 2005-06 के लिए उन्होंने अपनी सालाना की आमदनी 1.7 लाख रुपये बताई थी यानी उनकी महीने के हिसाब से कमाई सिर्फ 14 हजार थी। इस दौरान उन्होंने बेंगलुरु का एक पता दिया, साथ ही खुद को ईमानदार टैक्सपेयर बताया था।
जांच में आयकर विभाग को उनकी संपत्ति से जुड़ी अहम जानकारी हाथ लगी। इस मामले में सुनवाई के बाद आयकर अपीलीय अधिकरण की बेंच ने कहा कि हो सकता है थरानी पहले गैर आवासीय स्थित में रही हों। इसके बावजूद पीठ को ये पता नहीं चल पाया कि 200 करोड़ रुपये इतने जल्दी आखिर कहां से जमा किए गए।
इसके साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि वे एक सार्वजनिक व्यक्ति भी नहीं हैं और न ही चैरिटी चलाती हैं, जिसे ये पता चले कि किसी ने ये राशि उनके ट्रस्ट को दान की है। पीठ के मुताबिक अगर 1.7 लाख की सलाना आया देखी जाए, तो उन्हें 200 करोड़ कमाने में साढ़े 13 हजार साल लग जाएंगे। सुनवाई के बाद बेंच ने महिला को पेनाल्टी के साथ टैक्स जमा करने का आदेश दिया।