बेंगलुरु। इसरो चीफ के. सिवन ने नए साल के मौके पर बुधवार को देशवासियों के सामने इस साल के लक्ष्य और योजनाएं सामने रखी। ISRO साल 2020 में गगनयान और चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च करने जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने चंद्रयान-3 को मंजूरी दे दी है और इस परियोजना पर कार्य चल रहा है। चंद्रयान-3 मिशन में ऑर्बिटर नहीं होगा। इसमें केवल लैंडर और रोवर होंगे। इसके साथ ही इसरो चीफ ने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान के जरिए हमारी कोशिश देशवासियों के जीवन को और बेहतर बनाने की है।
मिशन 2020 में गगनयान और चंद्रयान-3 खास
इसरो चीफ ने कहा, ‘2020 में कॉस्ट इफेक्टिव चंद्रयान-3 लॉन्च करेंगे। गगनयान के अंतरिक्षयात्रियों को जनवरी 2020 के तीसरे सप्ताह से प्रशिक्षित किया जाएगा। गगनयान के मिशन के लिए 4 अंतरिक्षयात्रियों की पहचान की गई है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर की परामर्श समिति का गठन किया गया है। 2019 में गगनयान प्रॉजेक्ट में हमने काफी तरक्की की है।’
ISRO chief K Sivan: We have made good progress on Chandrayan-2, even though we could not land successfully, the orbiter is still functioning, its going to function for the next 7 years to produce science data pic.twitter.com/6tw683HTnk
— ANI (@ANI) January 1, 2020
इसरो चीफ ने कहा कि इस साल चंद्रयान-3 प्रॉजेक्ट भी लॉन्च होगा। के. सिवन ने कहा, ‘चंद्रयान-3 मिशन के लिए सरकार की मंजूरी मिल गई है। चंद्रयान-3 काफी हद तक चंद्रयान-2 से मिलता जुलता होगा। प्रॉजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है। इसका कॉन्फिगरेशन चंद्रयान-2 की तरह ही होगा। इसमें भी लैंडर और रोवर होगा।’ बता दें कि इसरो के चंद्रयान-2 मिशन की भारत ही नहीं दुनियाभर में काफी चर्चा हुई थी।
के सिवन ने कहा, ‘दूसरे स्पेस पोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण पर कार्य चल रहा है। दूसरा पोर्ट तमिलनाडु के थुथुकुडी में होगा।’ चंद्रयान-2 को लेकर उन्होंने कहा, ‘बेशक हम सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर लैंड नहीं कर पाए लेकिन हमने चंद्रयान -2 पर अच्छी प्रगति की है। ऑर्बिटर अब भी काम कर रहा है। यह अगले सात सालों तक काम करता रहेगा और साइंस डेटा देता रहेगा।’
इसरो चीफ ने भारत के महत्वकांक्षी गगनयान मिशन को लेकर बताया कि इसकी डिजाइनिंग का काम पूरा हो गया है। साथ ही यान में जाने के लिए चार यात्रियों का चुनाव कर लिया गया है। 2022 में गगनयान मिशन के जरिए भारत पहली बार अतंरिक्ष में मानव को भेजेगा। इससे पहले भारत के राकेश शर्मा अतंरिक्ष में रूस के अंतरिक्षयान से गए थे।
इसरो प्रमुख ने चेन्नई के उस इंजीनियर की भी तारीफ की जिसने चंद्रमा पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का पता लगाया था। उन्होंने कहा कि यह अंतरिक्ष एजेंसी की नीति थी कि वह दुर्घटनाग्रस्त मॉड्यूल की तस्वीर जारी नहीं करेंगे। सिवन ने कहा, ‘हम जानते थे कि यह कहां दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और किस स्थान पर था।’