4 Years Of Uri Terror Attack: साल था 2016 और दिन 17 सितंबर। आज ही के दिन ठीक 3 साल पहले भारतीय सेना को एक बड़ी क्षति पहुंची थी। जम्मू और कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल के लगभग 6 किलोमीटर अंदर घुस कर कुछ आतंकियों ने भरतीय सेना (Indian Army) के कैम्प पर हमला किया था। यह हमला जम्मू और कश्मीर के उरी (URI) में हुआ था। इसमे लगभग 19 जवान शहीद हो गए थे। यह एक फिदायीन हमला था। यह एक ऐसा जख्म था जिसे कभी नहीं भरा जा सकता था।
इस हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) ने देश की जनता से वादा किया कि दुश्मनों से बदला ज़रूर लिया जाएगा। इसके बाद दिल्ली में सुरक्षा प्रबंधन की कई खुफिया बैठकें बुलाई गईं। इसमें प्रधामंत्री खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के साथ शामिल हुए। अंदर ही अंदर खबरें थी कि कुछ बड़ा होने वाला है।
हमले के लगभग 10 दिन बाद भारतीय सेना ने आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) कर के लगभग 40 आतंकियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन में एक भी भारतीय सैनिकों के जान को नुकसान नहीं पहु्ंचा था। भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन को पाकिस्तान मेें घुस कर अंजाम दिया था।
इस हमले के बाद और सर्जिकल स्ट्राईक से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने हमले पर एक शब्द भी नहीं बोला था। वो ऐसा बर्ताव कर रहे थे जैसे कुछ हुआ ही न हो। लेकिन अंदर ही अंदर सर्जिकल स्ट्राईक की तैयारी अपने चरम पर थी।
इस ऑपेरशन की ज़िम्मेदारी मेजर माइक टैंगो (बदला हुआ नाम) को दी गई थी। ‘इंडियाज़ मोस्ट फ़ियरलेस-ट्रू स्टोरीज़ ऑफ़ माडर्न मिलिट्री हीरोज़’ के सह लेखक राहुल सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था “इस बारे में हमने बहुत सारे जनरलों और स्पेशल फ़ोर्स के अधिकारियों से बात की है और हम पूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं कि इस बैठक में ही ये फ़ैसला लिया गया कि भारतीय सेना लड़ाई को दुश्मन के क्षेत्र में ले जाएगी और इस हमले पर भारत चुप नहीं बैठेगा और इसका समुचित जवाब दिया जाएगा।”
राहुल सिंह आगे कहते हैं “मेज़र टैंगो की टीम ने पाकिस्तान के अंदर अपने चार सूत्रों से संपर्क किया। इनमें से दो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के ग्रामीण थे और दो जैश-ए-मोहम्मद में भारत के लिए काम कर रहे जासूस थे। चारों लोगों ने अलग अलग इस बात की पुष्टि की कि चरमपंथियों के लॉंचिंग पैड में चरमपंथी मौजूद हैं।”