आरएसएस चाहता है, जल्द बने राम मंदिर

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 ग्वालियर, 8 मार्च (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राम मंदिर के मुद्दे के समाधान के लिए तीनों पक्षों के बीच सहमति बनाने के लिए मध्यस्थता समिति बनाए जाने के बीच शुक्रवार को ग्वालियर में शुरू हुई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन विदसीय बैठक में राम मंदिर निर्माण का मार्ग जल्द प्रशस्त किए जाने पर जोर दिया गया।

 सूत्रों के अनुसार, प्रतिनिधिसभा की बैठक के पहले दिन वक्ताओं ने राम मंदिर निर्माण की पैरवी करते हुए सभी बाधाओं को दूर किए जाने के लिए आवश्यक पहल पर जोर दिया। सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राम मंदिर मामले में संबंधित पक्ष न्यायालय में अपनी बात रख चुके हैं। अब इसे सर्वोच्च न्यायालय को देखना है।


सूत्रों का कहना है कि प्रतिनिधिसभा की बैठक में सर्वोच्च न्यायालय की पहल से संघ को लगता है कि मंदिर निर्माण में आ रही बाधाओं को जल्द दूर किया जा सकेगा और मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होगा।

प्रतिनिधिसभा की बैठक के पहले दिन कहा गया कि लगातार उपेक्षा से हिंदुओं में निराषा पनप रही है इसलिए जरुरी है कि, इस मसले को निपटाने में तेज लाई जाए ताकि, भव्य मंदिर का जल्दी और तेजी से निर्माण हो, इस काम में आने वाली सभी बाधाओं को दूर किया जाए।

यहां के केदारधाम स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के सभागार में बैठक का शुभारंभ सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने किया।


तीन दिनों तक चलने वाली प्रतिनिधिसभा की जानकारी देते हुए डॉ. वैद्य ने पत्रकारों को बताया कि सबरीमला देवस्थान मामला सदियों पुरानी धाíमक परंपरा से जुड़ा है और इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दखल की आड़ लेकर केरल सरकार द्वारा हिंदू श्रद्धालुओं के साथ ज्यादाती की जा रही है। इस विषय पर बैठक में प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि बैठक में वर्तमान परिस्थितियों में परिवार व्यवस्था के समक्ष चुनौतियों पर भी चर्चा होगी। संघ इस विषय में भारतीय दर्शन के अनुसार ‘मैं से हम’ तक जाने की प्रक्रिया पर समाज के बीच काम करेगा।

डॉ. वैद्य ने बताया कि अखिल भारतीय प्रतिनिधिसभा की बैठक संघ कार्य के संबंध में निर्णय लेने वाली सबसे बड़ी संस्था है। इसकी बैठक वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। यह बैठक एक साल दक्षिण में, एक साल उत्तर में और तीसरे वर्ष नागपुर में होती है। इस बैठक में प्रति दो हजार स्वयंसेवकों पर एक प्रतिनिधि का चयन किया जाता है। यह बैठक संगठन कार्य के विस्तार, ²ढ़ीकरण एवं विविध प्रांतों के लिए विशेष कार्य, प्रयोग एवं अनुभव साझा करने की ²ष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि कार्य में गुणवत्ता एवं कार्य विस्तार की ²ष्टि से संघ के छह सह सरकार्यवाह 43 प्रांतों में जिलास्तर पर 12 हजार कार्यकर्ताओं की बैठकें ले चुके हैं। सन् 1990 के बाद समाज के बीच पहुंच बढ़ाने के लिए सेवा प्रकल्प और कार्य पर केंद्रित कार्यपद्धति के माध्यम से 300 विकसित गांवों को ‘प्रभात गांव’ की श्रेणी में लाने का कार्य चल रहा है।

उन्होंने बताया कि संघ की कार्ययोजना में भारतीय नस्ल की गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौ-उत्पादों के प्रचार-प्रसार पर विशेष जोर दिया जा रहा है। साथ ही लोग अपने परिवार के बीच अधिक समय बिताएं, इसके लिए कुटुम्ब प्रबोन के जरिए काम चल रहा है।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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