आतंकवादियों के हाथ में केमिकल हथियार पहुंचने की भारत ने दी चेतावनी

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संयुक्त राष्ट्र, 4 फरवरी (आईएएनएस)। सीरिया में आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) के पुनरुत्थान के मद्देनजर भारत ने चेतावनी दी है कि आतंकवादियों के हाथों में केमिकल हथियार पहुंच सकता है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर. रवींद्र ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को बताया, भारत आतंकवादी संगठनों और आतंकवादियों के हाथों में सामूहिक विनाश के ऐसे खतरनाक हथियारों के पहुंचने की संभावना को लेकर चिंतित है। इन आतंकवादी समूहों ने सीरिया में एक दशक से चल रहे संघर्ष का फायदा उठाते हुए पूरे क्षेत्र के लिए खतरा पैदा किया है। क्षेत्र में आईएस के पुनरुत्थान की खबरें लगातार बढ़ रही हैं।


2013 में अपनाए गए प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से मांग की गई थी कि सदस्य देशों के अलावा अन्य लोग या आतंकवादी समूह परमाणु, रासायनिक या जैविक हथियारों का ना तो वितरण कर सकेंगे, ना ही उनका विकास, अधिग्रहण, निर्माण, स्वामित्व, परिवहन, हस्तांतरण या उपयोग कर सकेंगे।

रवींद्र ने कहा, दुनिया इन आतंकवादियों को कोई इलाका देने या इन आतंकवादी समूहों के खिलाफ अपनी लड़ाई को कम करने का जोखिम नहीं उठा सकती है।

निरस्त्रीकरण मामलों के संयुक्त राष्ट्र की उच्च प्रतिनिधि इजुमी नाकामित्सु ने आरोप लगाया कि सीरिया ने इस प्रस्ताव का पालन नहीं किया है। उन्होंने कहा, इस स्तर पर सीरियाई अरब गणराज्य द्वारा पेश की गई घोषणा को केमिकल वेपंस कंवेंशन (सीडब्ल्यूसी) के अनुसार सटीक और पूर्ण नहीं माना जा सकता है।


उन्होंने कहा कि कुल 19 मुद्दे बाकी थे और उनमें से एक केमिकल हथियारों के उत्पादन करने वाली फैसिलिटी से जुड़ा था। वैसे दमिश्क ने इस आरोप से इनकार किया है। सीरिया में रासायनिक हथियारों के मुद्दे ने रूस को चीन से कुछ हद तक पीछे कर दिया है, जो पश्चिमी देशों की खिलाफत कर रही बशर अल-असद की सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। बता दें कि नई दिल्ली के भी सीरिया से घनिष्ठ संबंध हैं।

रवींद्र ने कहा, भारत ने सीरिया के नेतृत्व में वार्ता के जरिए सीरियाई संघर्ष का व्यापक और शांतिपूर्ण समाधान खोजने का आह्वान किया है। भारत ने हमेशा सीरिया को सामान्यीकरण और पुनर्निर्माण के लिए योगदान दिया है। अब वह इस रिश्ते को कोविड-19 टीके देने के साथ आगे बढ़ाने के लिए तैयार था।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत पहला देश था जिसने खुद को रासायनिक हथियार मुक्त देश घोषित करते हुए सीडब्ल्यूसी पर सबसे पहले हस्ताक्षर किए थे।

–आईएएनएस

एसडीजे-एसकेपी

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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