अब तक 15,000 तकनीकी पुस्तकें प्रकाशित : निशंक

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नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विश्वविद्यालय स्तर पर भाषा की दृष्टि से एक विशेष प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव के अंतर्गत भारतीय भाषाओं और तुलनात्मक साहित्य के कार्यक्रम पूरे देश में शुरू किये जाएंगे। भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में लिखित या मौखिक रूप में उपलब्ध गुणवत्तापूर्ण ज्ञान-सामग्री के लिए अनुवाद संस्थान स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।

शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग की हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने नई शिक्षा नीति में भाषा एवं अनुवाद को लेकर यह बात कही।


आयोग के 60 वर्ष पूरे होने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, “वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग ने अपनी छह दशक लंबी यात्रा में अब तक नौ लाख से अधिक वैज्ञानिक तथा तकनीकी क्षेत्र से संबंधित अंग्रेजी के शब्दों के लिए हिंदी एवं भारतीय भाषाओं की एक शब्दावली विकसित की है। 15,000 से अधिक विश्वविद्यालय स्तरीय वैज्ञानिक तथा तकनीकी पुस्तकों एवं बृहत परिभाषित शब्द संग्रह के 21 खंड प्रकाशित किये हैं। यह बेहद प्रशंसनीय कार्य है। इसके अलावा विगत तीन वर्षों में डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत आयोग ने सभी प्रकाशनों को ऑनलाइन माध्यम पर उपलब्ध करवाया है।”

केंद्रीय मंत्री निशंक ने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विश्वविद्यालय स्तर पर भाषा की दृष्टि से एक प्रस्ताव है कि भारतीय भाषाओं और तुलनात्मक साहित्य के कार्यक्रम पूरे देश में शुरू किये जाएंगे।”

इसके अलावा उन्होंने कहा, “एक बहुभाषी राष्ट्र की अपेक्षाओं को पूरा करने तथा भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में लिखित या मौखिक रूप में उपलब्ध गुणवत्तापूर्ण ज्ञान-सामग्री को सुलभ कराने की दृष्टि से एक भारतीय अनुवाद एवं निर्वचन संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किया गया है।”


डॉ. निशंक ने आयोग की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए कहा, “मुझे खुशी है कि आयोग अपने कर्तव्यों का पालन सही अर्थों में कर रहा है। इसकी उपलब्धियों से यह प्रतीत होता है कि जिस उद्देश्य से आयोग की स्थापना हुई थी, यह निरंतर उस दिशा में अग्रसर है। साथ ही अपने हीरक जयंती समारोह के साथ भारतीय भाषाएं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं आत्मनिर्भर भारत संभावनाएं एवं चुनौतियां विषय पर दो दिवसीय वेब गोष्ठी यानी संवाद की एक स्वस्थ प्रक्रिया भी आरंभ कर रहा है।”

उन्होनें कहा, “हमारे आत्मनिर्भर तथा एक भारत-श्रेष्ठ भारत के लिए भाषाएं, अभिव्यक्ति और ज्ञान की दुनिया में भी आत्मनिर्भर होना अत्यंत आवश्यक है। ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न धाराओं में शब्दावली का निर्माण, उनका प्रचार-प्रसार तथा आम जनता तक उनकी पहुंच एवं सहज प्रयोग की दिशा में हमें और भी कार्य करने की जरूरत है और इस दिशा में ऐसे वेबिनार्स काफी उपयोगी हो सकते हैं। शिक्षा नीति के आगमन के साथ आयोग का दायित्व और भी मुखर हो जाता है।”

उन्होंने आयोग के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को हीरक जयंती की बधाई देते हुए कहा कि शिक्षा नीति से लेकर आयोग के कार्यों तक हम सभी भारतीय भाषाओं के सशक्तिकरण हेतु प्रतिबद्ध और समर्पित है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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