भाजपा ने अभिजीत बनर्जी और अमर्त्य सेन पर नोबेल पुरस्कार का राजनीतिक इस्तेमाल का लगाया आरोप

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भाजपा ने अभिजीत बनर्जी और अमर्त्य सेन पर नोबेल पुरस्कार का राजनीतिक इस्तेमाल का लगाया आरोप

कोलकाता | नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी पर अपनी कठोर टिप्पणी के दो दिन बाद भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने रविवार को एक बार फिर उनपर हमला बोला, जिन्हें अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

सिन्हा ने बनर्जी को चुनौती दी कि वह प्रधानमंत्री या केंद्रीय वित्तमंत्री के खिलाफ बोलने के बदले एक गांव में भी अपने आर्थिक विचारों को लागू कर के दिखाएं। सिन्हा ने आरोप लगाया कि बनर्जी अपने नोबेल पुरस्कार का इस्तेमाल अपने राजनीतिक हित के लिए कर रहे हैं। उन्होंने अर्थशास्त्र के एक अन्य नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का भी परोक्ष जिक्र किया, जो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के कटु आलोचक हैं। सेन को नोबेल पुरस्कार 1998 में प्राप्त हुआ था।


सिन्हा ने कहा, “यदि कोई अपने नोबेल पुरस्कार का इस्तेमाल अपने राजनीतिक हित के लिए करता है तो लोगों को यह अच्छा नहीं लगता।”

उन्होंने कहा, “हमने इस नोबेल पुरस्कार विजेता के मामले में और एक अन्य नोबेल विजेता (अमर्त्य सेन) के मामले में ऐसा ही देखा है। यदि वे जनता के सामने देश की अर्थव्यवस्था के बारे में अपने विचार प्रस्तुत करें तो हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है, और इस पर एक बहस हो सकती है। लेकिन यदि वे प्रधानमंत्री के बारे में घटिया बातें बोल कर किसी का अपमान करते हैं तो यह अच्छी बात नहीं है।”

सिन्हा ने दोहराया कि जनता ने कांग्रेस के 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा-पत्र में शामिल न्याय (न्यूनतम आय योजना) को नकार दिया।


उन्होंने कहा, “उन्होंने न्याय पर काम किया है। लेकिन आय क्या थी? देश की जनता ने इसे नकार दिया।”

जिस योजना पर बनर्जी ने कांग्रेस के साथ काम किया था, उसके जरिए देश के सबसे गरीब 20 प्रतिशत परिवारों को साल में 72,000 रुपये प्रति परिवार देने का वादा किया गया था। लेकिन कांग्रेस आम चुनाव में हार गई।

बनर्जी ने हालांकि कहा है कि उन्होंने सिर्फ जानकारी मुहैया कराई थी और न्याय को तैयार करने में उनकी भूमिका नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि योजना अच्छे से तैयार नहीं की गई थी।

सिन्हा ने कहा कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ बोलने के बदले यदि उनके (बनर्जी) पास कोई विकल्प है, तो उन्हें उसे वित्तमंत्री के पास, सरकार के पास भेजना चाहिए।

सिन्हा ने बनर्जी को चुनौती दी कि वह अपने आर्थिक विचारों को कम से कम एक गांव में लागू कर के दिखाएं।

उन्होंने कहा, “अर्थशास्त्र पर बड़ी-बड़ी बातें करने, अर्थव्यवस्था पर इस तरह के बड़े दावे करने के बदले वह एक गांव में उन विचारों को लागू कर के दिखाएं। उसके बाद ही हम उनकी बात को मानेंगे।”

सिन्हा ने शुक्रवार को कहा था कि जिन लोगों की दूसरी पत्नियां विदेशी हैं, अमूमन उन्हें ही नोबेल पुरस्कार मिलता है, और उन्होंने नोबेल पाने के इस मानक पर आश्चर्य जताया।

बनर्जी को इस साल का पुरस्कार उनकी दूसरी पत्नी एस्तर डुफ्लो और अमेरिकी प्रोफेसर मिशेल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से मिला है। डुफ्लो फ्रांस मूल की अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं।

इसके पहले केंद्रीय वाणिज्यमंत्री पीयूष गोयल ने भी न्याय योजना की विफलता का जिक्र किया था और बनर्जी को वामपंथी करार दिया था।

मुंबई में 1961 में पैदा हुए बनर्जी दुनिया के एक प्रमुख अर्थशास्त्री हैं और वर्तमान समय में वह मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्न ॉलजी (एमआईटी) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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