हाल के समय में सीमा विवाद के कारण भारत और नेपाल के रिश्तों में कड़वाहट देखी जा रही है। पिछले दिनों तटबंध निर्माण में अड़ंगा डालने के बाद अब नेपाल सड़क निर्माण कार्य पर भी रोक लगा दिया है। ताजा मामला बिहार के सीतामढ़ी का है, जहां भारत-नेपाल सीमा के भिठ्ठामोड़ बॉर्डर के पास नेपाल पुलिस ने भारतीय सीमा क्षेत्र में बन रहे सड़क निर्माण के काम को रोक दिया है। नेपाल पुलिस की इस हरकत से स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
जानकारी के मुताबिक, सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगाने के बाद निर्माण एजेंसी वहां से बोरिया बिस्तर बांध कर निकल चुकी है। इस मामले पर भारत नेपाल सीमा पर स्थित SSB के अधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। बताया जाता है कि नेपाल पुलिस ने जिस सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगाया है वह राष्ट्रीय राजमार्ग का है। इस सड़क की हालत लंबे अरसे से खस्ताहाल थी। पथ निर्माण विभाग की यह सड़क नेपाल के महेन्द्र राज मार्ग से सीधे जुड़ती है।
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इस मामले में सीतामढ़ी एसएसबी के अधिकारी कमान्डेट नवीन कुमार ने कहा कि नेपाल के अधिकारियों से बात करके बहुत जल्द इसे सुलझा लिया जाएगा। अधिकारी के मुताबिक, जहां पर काम रोका गया है वह भारत की जमीन है, लेकिन नेपाल की पुलिस ने उसे ‘नो मेन्स लैन्ड’ होने का दावा किया करके काम को पूरी तरीके से रोक दिया है।
क्या होता है ‘नो मैन्स लैन्ड’
नो मैन्स लैन्ड दो देशों की सीमाओं के बीच का एक ऐसा हिस्सा होता है, जिसपर किसी देश का कोई दावा या अधिकार नहीं होता। उस क्षेत्र में किसी भी देश की पुलिस गश्त नहीं लगा सकती। भारत और नेपाल दोनों देशों की सीमा के बीच भी नो मेन्स लैन्ड है, जिसपर दोनों देशों में से किसी का अधिकार नहीं है।
नेपाल ने रुकवाई बांध की मरम्मत
गौरतलब है कि पिछले दिनों भारत-नेपाल की सीमा पर लगे पीलर 347/5 से 347/7 के बीच की जमीन को नेपाल अपनी जमीन बताकर भारतीय सीमा में बन रहे बांध के निर्माण को रोक दिया था। सर्वे के बाद अभी पूर्वी चम्पारण जिला प्रशासन सरकार के दिशा-निर्देश का इंतजार कर रही है, तब तक नेपाल के रौतहट जिले के डीएम वासुदेव घिमिरे ने एक पत्र जारी कर ललबकेया नदी हो रहे निर्माण कार्य को हटाने और बांध को तोड़ देने की धमकी दी है।
बता दें कि ललबकेया नदी नेपाल की पहाड़ी इलाकों से निकलती है और पूर्वी चम्पारण जिला के चार प्रखंडों में तबाही मचाती रहती है। पिछले 2017 में आई भीषण बाढ़ के बाद जिला प्रशासन ने अंग्रेजों के शासन काल में बने इस बांध को ऊंचा करना शुरु किया है। बांध का पुनर्निर्माण अधिकांश हिस्सों में किया जा चुका है, लेकिन नेपाल ने 3.1 किलोमीटर से 3.6 किलोमीटर तक के बांध की मरम्मत और पुनर्निर्माण पर रोक लगा दिया है।