सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। आज के दौर में सिनेमा, सियासत से लेकर देश-दुनिया की तमाम घटनाओं की चर्चा सोशल मीडिया पर खूब होती है। स्थिति यहाँ तक पहुँच चुकी है कि व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर इत्यादि के किसी मुल्क की सरकार बदलने का माद्दा रखते हैं। इसलिए विभिन्न राजनीतिक दल इनके जरिये जनता के दिलो-दिमाग तक पहुंचने की कोशिश में रहते हैं।
लेकिन, देखा जाए तो सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ मजेदार लतीफों और मनोरंजक वीडियो और मीम्स फ़ैलाने के लिए ही नहीं बल्कि फर्जी खबरों को फैलाने के लिए भी जोर-शोर से हो रहा है, जिसके चलते लोगों की जान तक जा रही है। इसी बीच सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ के प्रसार को लेकर एक आश्चर्यजनक जानकारी सामने आई है और वो ये कि फर्जी खबरों को सर्कुलेट करने में नौजवानों से ज्यादा बुजर्गों की तादाद शामिल है। एक अमेरिकी स्टडी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट जर्नल ‘साइंस एडवांसेज’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक अंकलों (उम्रदराज वयस्कों) के फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म पर युवाओं की तुलना में ‘फर्जी खबरें’ साझा करने की अधिक संभावना होती है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 9 फीसदी से कम अमेरिकियों ने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान फेसबुक पर ‘फर्जी खबरों’ के लिंक साझा किए।
हालांकि, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि यह प्रवृत्ति 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा आम थी। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जोशुआ टकर ने कहा, ‘फर्जी खबरों की घटना में व्यापक दिलचस्पी के बावजूद, कौन ऐसी खबरों को साझा करता है, उसके बारे में हम बहुत कम जानते हैं।’
टकर ने कहा, ‘शायद सबसे महत्वपूर्ण बात जो हमने पाई कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार के दौरान फेसबुक पर इस तरह की सामग्री को साझा करना अपेक्षाकृत दुर्लभ गतिविधि थी।’ इसमें पाया गया कि 18-29 आयु वर्ग के सिर्फ तीन फीसदी लोगों ने फर्जी समाचार साइटों से लिंक को साझा किया जबकि 65 से अधिक आयु वर्ग में यह आंकड़ा 11 फीसदी था।
इसलिए अपने आस-पास के ऐसे चचा से सावधान रहें, सतर्क रहें जो न सिर्फ आपके जीवन में बल्कि सोशल मीडिया पर भी रायता फैलाते रहते हैं।
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