अहमद पटेल बने रहेंगे कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार, झारखंड-महाराष्ट्र में सरकार बनाने में रही अहम भूमिका

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नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव में जीत और महाराष्ट्र में सरकार बनाने का श्रेय व्यापक रूप से कांग्रेस नेता अहमद पटेल को दिया जाता है। अहमद पटेल को उनके राजनीतिक कौशल और बातचीत और रणनीतिक कौशल के लिए जाना जाता है। राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने तक अहमद पटेल को पार्टी में नंबर दो माना जाता था। वह अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के लंबे समय से वफादार माने जाते हैं।

सोनिया गांधी की वापसी के बाद वह पार्टी के कई प्रमुख फैसलों में सहायक रहे हैं, जिसमें महाराष्ट्र में सरकार बनाने में शिवसेना का साथ देना भी शामिल है। शिवसेना ने अपने लंबे समय तक सहयोगी रहे भाजपा को छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी व कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई।


पटेल की छवि पर्दे के पीछे के रणनीतिकार की है। पटेल मीडिया के जरिए अक्सर सरकार पर विभिन्न मुद्दों को लेकर निशाना साधते भी नजर आते हैं। वह सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ज्यादा सक्रिय हैं। लेकिन कांग्रेस में कई लोग उनकी बारीकियों और राजनीतिक निपुणता के लिए उन्हें सबसे ज्यादा जानते हैं, क्योंकि वह पार्टी की रणनीति तैयार करने के लिए परिपक्व कदम उठाते हैं।

झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा व राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन को अंतिम रूप देने की मुख्य रणनीति व दूसरे चुनावी मुद्दों की योजना पटेल द्वारा बनाई गई और इसे जमीनी तौर पर राज्य प्रभारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.पी.एन.सिंह ने क्रियान्वित किया।

झारखंड चुनाव में पटेल की छाप देखी जा सकती है, क्योंकि प्रचार अभियान के दौरान पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने के जाल में नहीं फंसी। बल्कि स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, जिसका उसे फायदा मिला।


पटेल कांग्रेस के लिए मुख्य फंड रेजर हैं, जो 2014 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के सत्ता गंवाने के बाद से वित्तीय संकट का सामना कर रही है और पार्टी के पास अक्सर भाजपा का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। पार्टी आने वाले समय में इस एकमात्र कारण की वजह से उन पर अधिक निर्भर होगी, क्योंकि कांग्रेस के पास कोई और नहीं है, जो पार्टी के लिए संसाधन जुटा सके।

पटेल की पार्टी नेताओं से करीबी देखी जाती है। कांग्रेस शासित प्रदेशों में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी उनके करीबी हैं। इसके साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ भी उनके करीबी हैं।

यह पटेल ही थे, जिन्होंने सोनिया गांधी को हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पार्टी की बागडोर देने के लिए राजी किया, जहां पार्टी ने 2014 के बाद अपने प्रदर्शन में सुधार किया।


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(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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