विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2019 : जानें बीमारी के लक्षण और कारण

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विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2019 : जानें बीमारी के लक्षण और कारण

विश्व भर  में 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस (World Autism Day) मनाया जाता है। साल  2007 में  संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस घोषित किया था। पूरे विश्व में आत्मकेंद्रित बच्चों और बड़ों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों को प्रोत्साहित करता है और पीड़ित लोगों को सार्थक जीवन बिताने में सहायता देता है।

आपको बता दें की नीले रंग को ऑटिज्म का प्रतीक माना गया है। इस बीमारी की चपेट में आने की बालकों में ज्यादा संभावना होती है। इस बीमारी को पहचानने का कोई निश्चित तरीका अभी तक ज्ञात नहीं हुआ है। दुनिया भर में इस बीमारी से ग्रस्त लोग हैं जिनका असर परिवार, समुदाय और समाज पर पड़ता है।


विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2019 की थीम है “सहायक तकनीक, सक्रिय भागीदारी”

ऑटिज्म के शुरुआती लक्षण दो से तीन साल के बच्चों में नजर आ जाते हैं। दो अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस पर विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या का इलाज भी जितनी जल्दी शुरू किया जाए उतने ही अच्छे परिणाम मिलते हैं। इस समस्या के लिए आनुवांशिक और पर्यावरण संबंधी कई कारण जिम्मेदार होते हैं।

आखिर ऑटिज्म क्या है?

ऑटिज्म (Autism) एक प्रकार का मानसिक रोग है जो विकास से सम्बंधित विकार है, जिसके लक्षण जन्म से या बाल्यावस्था यानी प्रथम तीन वर्षों में ही नज़र आने लगते है। ये आजीवन न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो लिंग, जाति या सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बावजूद बचपन में हो जाती है। यानी ये बिमारी पीड़ित व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। इस रोग से पीड़ित बच्चों का विकास अन्य बच्चों की अपेक्षा असामान्य होता है। ऐसे बच्चें एक ही काम को बार-बार दोहराते है आदि। इन सब समस्याओं का प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार में भी दिखाई देता है, जैसे कि व्यक्तियों, वस्तुओं और घटनाओं से असामान्य तरीके से जुड़ना।


ऑटिज्म बिमारी के लक्षण

पीड़ित व्यक्ति मानसिक रूप से विकलांग हो सकता है। रोगियों को मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं। पीड़ित व्यक्ति को सुनने और बोलने में दिक्कत हो सकती है। इस बिमारी को ऑटिस्टिक डिस्ऑगर्डर के नाम से भी जाना जाता है, यह तब बोलते है जब बिमारी काफी गंभीर रूप ले चुकी हो। परन्तु जब यह बिमारी ज्यादा प्रभावी ना हो तो इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑ र्डर (ASD) के नाम से बुलाते है।

ऑटिज्म के मुख्य कारण

वैज्ञानिकों को अनुसार एक दोषपूर्ण जीन या किसी जीन के कारण एक व्यक्ति को आत्मकेंद्रित या ऑटिज्म बिमारी विकसित होने की अधिक संभावना बना सकता है। कुछ अन्य कारक भी इस बिमारी के लिए हो सकते हैं, जैसे रासायनिक असंतुलन, वायरस या रसायन, या जन्म पर ऑक्सीजन की कमी का होना आदि। कुछ मामलों में, ऑटिस्टिक व्यवहार गर्भवती मां में रूबेला (जर्मन खसरा) के कारण भी हो सकता है।

ऑटिज्म बिमारी पूरी दुनिया में फैली हुई है। यहां तक कि कैंसर, एड्स और मधुमेह के रोगियों की संख्या को मिलाकर भी ऑटिज्म रोगियों की संख्या ज्यादा है। इनमें डाउन सिंड्रोम की संख्या अपेक्षा से भी अधिक है। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि दुनियाभर में प्रति दस हज़ार में से 20 व्यक्ति इस रोग से प्रभावित होते हैं।

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