बीजिंग, 9 जनवरी (आईएएनएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बहुत से समर्थकों ने 6 अमेरिका को जबरन संसद भवन को हिंसा और तोड़फोड़ की और राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम का सत्यापन कर रहे कांग्रेस पर दबाव बनाया। रिपोर्ट के अनुसार इस हिंसा में अब तक 5 लोग मारे गये हैं।
अमेरिका के सभी राजनीतिज्ञों और मीडिया संस्थाओं ने इस कार्रवाई की निंदा की और इसे हिंसक घटना कह कर बुलाया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी हत्यारे और उग्रवादी हैं, जो बेहद शर्मनाक बात है। यह सोचने लायक है कि जब वर्ष 2019 में बराबर घटना चीन के हांगकांग प्रशासनिक क्षेत्र में हुई थी, तब अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने उन्हें लोकतांत्रिक योद्धा करार दिया और कहा कि अमेरिकी लोग उनके साथ खड़ें रहेंगे।
लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि हिंसा कानूनी समाज का जहर है। अमेरिकी राजनीतिज्ञ भलिभांति समझते हैं, लेकिन उन्होंने देश और विदेश के प्रति दो मापदंड अपनाये हैं। जब देश में हिंसक प्रदर्शन होता है, तब अपराधियों को सजा देते हैं, वहीं अन्य देशों के हिंसकों को नायक मानते हैं। क्या यह बेतुका नहीं है?
इस घटना के जरिए दुनिया ने अमेरिकी राजनीतिज्ञों के अभिमान और पक्षपात को और साफ आंखों से देखा है। यकीनन, अमेरिका का तथाकथित लोकतंत्र और स्वतंत्रता कितना कमजोर हो गया है।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस