अमेरिकी बायो लैब से पर्दा कब उठेगा?

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बीजिंग, 15 मई (आईएएनएस)। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि अमेरिका ने चीन और रूस के पड़ोसी देशों में सघन रूप से बायो लैब तैनात किये हैं और उन के अध्ययन के विषयों को सार्वजनिक बनाने से इंकार करता है। अमेरिका की कार्रवाई और उद्देश्य संदेहजनक है। वास्तव में लावरोव ने एक अरसे से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की शंका और चिंता व्यक्त की।

विश्व भर में फैली अमेरिकी बायो लैब क्या कर रही हैं। वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए उन का क्या खतरा है और क्या खतरा बना हुआ है। अमेरिकी राजनीतिज्ञों को इस के बारे में साफ कहना चाहिए।


अमेरिकी मैरिलैंड राज्य स्थित फोर्ट दट्रिक बायो लैब अमेरिका का सब से बड़ा जैविक व रासायनिक हथियार अड्डा है। पिछली जुलाई में अमेरिकी बीमारी रोकथाम और नियंत्रण केंद्र ने अनाचक इस लैब को अस्थाई तौर पर बंद किया। उल्लेखनीय बात है कि यह लैब बंद होने के बाद उस से कार से 1 घंटे की दूरी पर स्थित वर्जीनिया राज्य के एक समुदाय में अकारण इलेक्ट्रोनिक स्मोक बीमारी पैदा हुई, जिस का लक्षण कोविड-19 से मिलता जुलता है। इस मार्च में फोर्ट दट्रिक बायो लैब फिर से खुल गयी। बहुत अमेरिकी नेटिजनों ने सरकार से गत वर्ष इस लैब को बंद करने का कारण घोषित करने की मांग की। लेकिन इस मुद्दे पर अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने मौन रखा, यह बहुत अजीब बात है।

यूएसए टुडे अखबार की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2003 से अमेरिकी लैब में कई सौ मानव के घातक माइक्रो आर्गनिज्म से आकस्मिक रूप में संपर्क में आने की घटनाएं हुई और संबंधित कर्मचारी घातक वायरस से संक्रमित हुए और वायरस उन संक्रमितों के जरिये समुदाय में फैला था।

गौरतलब है कि इधर के बीस साल अमेरिका जैविक हथियार पाबंदी समझौते की जांच संधि के बारे में वार्ता फिर शुरू करने की रोकथाम करता रहता है।


कहा जा सकता है कि रहस्यमय अमेरिकी बायो लैब मानव का समान खतरा बन गया है। अब उन लैब पर प्रकाश डालने का समय आ गया है। फिलहाल कुछ अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने जो बेतुकी बात की और खराब प्रदर्शन किया, वह एकदम ऐसा है कि जैसा कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। अब उन को हकीकत बतानी होगी।

(साभार-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

— आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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