अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप में पूजा की जाती है। भगवान विष्णु का दूसरा नाम अनंत देव है। इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत 12 सितंबर यानी गुरुवार को रखा जाएगा। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ गणेश जी का विसर्जन होने से इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। गणेश चतुर्थी के 10वें दिन बाद 11वें दिन अनंत चतुर्दशी आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को 14 साल तक लगातार रखने पर मनुष्य को विष्णु लोक की प्राप्ति हो जाती है।
अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) तिथि और शुभ मुहूर्त
- अनंत चतुर्दशी की तिथि: 12 सितंबर 2019
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 12 सितंबर 2019 को सुबह 05 बजकर 06 मिनट से
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 13 सितंबर को सुबह 07 बजकर 35 मिनट तक।
अनंत चर्तुदशी पूजा का मुहूर्त: 12 सितंबर को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से 13 सितंबर की सबुह 07 बजकर 17 मिनट तक
अनंत चतुर्दशी का महत्व
हिन्दू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। यह भगवान विष्णु की अनंत रूप में उपासना का दिन है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है। यह सूत्र रेशम या सूत का होता है। इस सूत्र में 14 गांठें लगाई जाती हैं। मान्यता है कि भगवान ने 14 लोक बनाए जिनमें सत्य, तप, जन, मह, स्वर्ग, भुव:, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल शामिल हैं।
मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने के अलावा अगर सच्चे मन से विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ किया जाए तो धन-धान्य, उन्नति-प्रगति, खुशहाली और संतान का सौभाग्य प्राप्त होता है। इस दिन गणेश विसर्जन के साथ गणेश उत्सव का समापन होता है।
अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि- अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी के महात्म्य का वर्णन किया गया है। इस खास दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है।
– सबसे पहले स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके इस व्रत का संकल्प लें।
– इसके बाद मंदिर में कलश स्थापना करें। भगवान विष्णु की तस्वीर लगाएं।
– अब एक डोरी को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर इसमें 14 गांठें सगा लें। अब इसे भगवान विष्णु जी को चढ़ाकर पूजा शुरू करें।
– इस दिन पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें-
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
– इसके बाद पूजा के पुरुष सूत्र को अपने दाएं हाथ के बाजू और महिलाएं बाएं हाथ के बाजू पर बांध लें। सूत्र बांधने के बाद यथा शक्ति ब्राह्मण को भोज कराएं और प्रसाद ग्रहण करें।