Anjaan Birthday: जिसने अपने गीत के जरिए लोगों को बनारस के पान का स्वाद बताया

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Anjaan Birthday: जिसने अपने गीत के जरिए लोगों को बनारस के पान का स्वाद बताया

अंजान का जन्म 24 अक्टूबर 1929 को बनारस में हुआ था। उनका असल नाम लाल जी पांडे था। उन्होंने बीएचयू से बी.कॉम की पढ़ाई की थी। 1953 में वो मुंबई आ गए। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में ओ खाइके पान बनारस वाला, खुल जाए बंद अकल का ताला, इंतहा हो गई इंतज़ार की, मेरे यार की, गोरी हैं कलाईयां तू ला दे मुझे हरी हरी चूड़ियां, मुझे नौ लखा मंगा दे रे ओ सैया दीवाने, तेरे जैसा यार कहां, कहां ऐसा याराना, छू कर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा और मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है जैसे बेहतरीन गीत लिखे हैं। 13 सितंबर 1997 को अंजान ने आखिरी सांस ली।

एक बार की बात है फेमस बॉलीवुड गायक मुकेश जी बनारस आए हुए थे। मुकेश जी वहां के मशहूर क्लार्क होटल में ठहरे थे। होटल के मालिक ने उनसे गुज़ारिश की कि वह एक बार अंजान की कविता सुन लें। मुकेश ने जब कविता सुनी तो वह काफ़ी प्रभावित हुए। उन्होंने अंजान को फ़िल्मों में गीत लिखने की सलाह दी।


उस वक़्त अंजान अस्थमा के रोग से जूझ रहे थे। उस वक्त मुकेश जी की सलाह पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया। आगे चल कर उन्हें बीमारी की वजह से बनारस छोड़कर मुंबई का रुख करना पड़ा। अंजान के बेटे और गीतकार समीर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, पापा से डॉक्टरों ने कहा कि अगर ज़िंदा रहना है तो आपको यह शहर छोड़ना होगा। अस्थमा बहुत बढ़ गया था और उन्हें काफ़ी तकलीफ़ देने लगा था। डॉक्टरों ने मशविरा दिया कि अगर किसी सागर के तट पर जाएंगे, तभी अस्थमा कंट्रोल हो पाएगा। ड्राइ क्लाइमेट में रहेंगें तो बचने की संभावना बहुत कम रहेगी।

जब अंजान मुंबई गए तो उन्होंने मुकेश जी से मुलाक़ात की। इसके बाद मुकेश ने उन्हें निर्देशक प्रेमनाथ से मिलवाया, जो अपनी फ़िल्म के लिए किसी गीतकार की तलाश में थे। प्रेमनाथ की प्रिजनर ऑफ गोलकोंडा के लिए अंजान ने गाने लिखे। पहली फ़िल्म मिलने के बाद भी वो फेमस नहीं हुए। उनके बेटे समीर बताते हैं कि, सफ़लता की सारी ऊंचाईयों पर उन्हें डॉन ने पहुंचाया था।

अंजान की जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के साथ कमाल की रही। अंजान का अमिताभ बच्चन से भी एक ख़ास रिश्ता बन गया था। उन्होंने अमिताभ की कई फ़िल्मों के लिए गीत लिखे थे। उन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्म डॉन, मुकद्दर का सिकंदर, याराना, नमक हलाल और शराबी के लिए गाने लिखे थे। इन्हीं फिल्मों के बाद उन्हें एक खास सफलता मिली।


समीर बताते हैं, ‘जब पापा ने डिस्को डांसर के गाने लिखे तो उन्होंने मुझसे कहा कि ऐसा लग रहा जैसे मैं अपने क़लम के साथ दुष्कर्म कर रहा हूं। लोग ये कैसे-कैसे गाने लिखवा रहे हैं।’

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