अवसर में तब्दील होगा कोरोना संकट, गांवों में बढ़ेगा रोजगार : तोमर (आईएएनएस साक्षात्कार)

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नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। कोरोना संकटकाल में जब पूरी दुनिया में कल-कारखानों के काम-काज समेत तमाम आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, तब भी भारत के गांवों में कुछ रुका नहीं है, बल्कि खेती-किसानी से लेकर गांवों के विकास की गाड़ी निर्बाध गति से चल रही है, क्योंकि मोदी सरकार ने कृषि कार्य और इससे संबंधित गतिविधियों को लॉकडाउन के पहले चरण से ही छूट दे रखी है। यह कहना है केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का।

मंत्री तोमर कहते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किए गए उपायों से कोरोना संकट ग्रामीण क्षेत्र के लिए अवसर में तब्दील होगा और गांवों में रोजगार बढ़ेगा।


कोरोनावायरस संक्रमण के प्रकोप की रोकथाम के लिए भारत सरकार ने 25 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया था, जिसकी समयसीमा अब तक चार बार बढ़ाई जा चुकी है। हालांकि लॉकडाउन 4.0 में शर्तों के साथ दी गई ढील के बाद शहरों में बाजार खुलने लगे हैं और आवागमन के साधन मिलने लगे हैं, जिसके बाद कल-कारखानों का काम-काम भी पटरी पर लौटने की उम्मीद है। फिर भी प्रवासी श्रमिक वापस गांव की ओर लौट रहे हैं। ऐसे में कृषि क्षेत्र पर बढ़ने वाले दबाव को कम करने के लिए सरकार क्या कर रही है, यह जानने के लिए आईएएनएस ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र तोमर से खास बातचीत की।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि घर वापसी कर रहे श्रमिकों का ध्यान खेती की तरफ होगा और खेती में जो समस्या होगी वह दूर होगी। कृषि आधारित उद्योग के मार्ग खुलेंगे जिससे रोजगार के अवसर मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उत्पादक कार्यकलापों, मसलन- पशुपालन, डेयरी, मत्स्यपालन, मधुमक्खी पालन, हर्बल खेती आदि को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ खाद्य-प्रसंस्करण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें रोजगार के अवसर मिलेंगे।


तोमर ने कहा, “खेती में जो गैप हैं उनको पाटने के लिए अधोसंरचना तैयार करने सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। वहीं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए 10,000 करोड़ रुपये, मत्स्यपालन क्षेत्र के लिए 20,000 करोड़ रुपये, पशुपालन के लिए 15,000 करोड़ रुपये, हर्बल खेती के लिए 4000 करोड़ रुपये और मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।”

ये सारे प्रावधान देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना के कहर से उबारने के लिए मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन सारी स्कीमों में जब लोग दिलचस्पी दिखाएंगे और इसके लिए आगे आएंगे तो निश्चित रूप से गांवों में रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि गांव लौट रहे लोगों को कृषि आधारित छोटे-छोटे उद्योग खोलने और उद्यमी बनने का मौका मिलेगा। कृषि मंत्री ने कहा कि किसान उत्पादक संगठन यानी एफपीओ बनेंगे, उसमें लोगों की भागीदारी बढ़ेगी जिससे किसानों को उनके उपज का बेहतर दाम दिलाने में मदद मिलेगी।

गांव लौट रहे मजदूरों को तत्काल रोजगार मुहैया करवाने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार ने मनरेगा के तहत 40,000 करोड़ रुपये की राशि का अतिरिक्त आवंटन करने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा गांवों के विकास के लिए कई सारी योजनाएं चल रही हैं, जिनमें श्रमिकों को रोजगार मिल रहे हैं।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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