सड़क हादसों में घायल लोगों की सहायता करने पर पाए पांच लाख का ईनाम

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Award of five lakhs for helping injured people in road accidents

देश में सड़क हादसों में घायलों व्यक्तियों को सही वक़्त पर इलाज न मिलने की वजह से कई लोगों की जान चली जाती हैं। अब सड़क हादसे में घायल लोगों की मदद करने वाले अच्छे शहरियों को एक से पांच लाख तक का ईनाम दिया जाएगा। प्रत्येक राज्य से कम से कम तीन अच्छे शहरियों को नगद ईनाम योजना में शामिल किया जाएगा।

केंद्र सरकार की मंशा है कि इस पहल से आम जनता दुर्घटना में सड़क पर घायल पड़े लोगों की मदद के लिए आगे आएगी और कई लोगों की जान बचाई जा सकेगी। देश में प्रतिदिन 410 से अधिक लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो रही है, इसमें अधिकांश की समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण हो रही है।


आम जनता ही सहभागिता से मौत के आंकड़ें को कम करने के लिए सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने 27 अक्तूबर को सड़क सुरक्षा में जुटे अच्छे शहरियों-हितधारकों के लिए नगद ईनाम योजना शुरू करने संबंधी प्रस्ताव राज्यों को भेज दिया है। इसके तहत राज्य सरकार 30 नवबंर तक अपने प्रस्ताव-दस्तावेज मंत्रालय के पास भेजने हैं।

मंत्रालय ने माना है कि तमाम सड़क सुरक्षा योजनाएं लागू करने के बावजूद हादसे व मृतकों की संख्या कम नहीं हो रही है, जो वाकई चिंता का सबब है। दरअसल हर साल 10 फीसदी की दर से नए वाहनों की बढ़ोत्तरी हो रही है और राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का तेजी से विस्तार हो रहा है। इससे सड़क हादसों में भी इजाफा होता जा रहा हैं।

सड़क दुर्घटनाओं में घायलों की आगे बढ़कर मदद करने के लिए अच्छे शहरियों को प्रथम पुरस्कार के तहत पांच लाख,  द्वितीय पुरस्कार में दो लाख व तृतीय पुरस्कार में एक लाख रुपये का नगद ईनाम सीधे उनके बैंक खाते में दिया जाएगा। इसके अलावा दिल्ली में आयोजित होने वाले समारोह में आने, ठहरने के लिए 20 हजार रुपये व अच्छे शहरी का प्रणाम पत्र दिया जाएगा।


मंत्रालय ने दुर्घटना में सड़क पर घायलों को अस्पताल पहुंचाने व अन्य प्रकार से मदद करने वाले अच्छे शहरी को कानूनी सुरक्षा देने का नियम पहले ही लागू कर दिया है। इसमें पुलिस अच्छे शहरी से पहचान, नाम, पता, मोबाइल नंबर बताने के लिए दबाव नहीं बना सकेगी।

पुलिस उन्हें थाने पर बुलाने के लिए नहीं कहेगी और न ही उनको किसी तरह के सिविल अथवा अपराधिक मामले में गवाह बना सकेगी। अच्छे शहरी स्वेच्छा से अपनी पहचान बात सकते हैं अथवा अदालत में बतौर गवाह पेश होने की इच्छा जता सकते हैं। यह पूरी तरह से उनकी मर्जी पर निर्भर करेगा।

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