अयोध्या मामला : संत मध्यस्थता के खिलाफ, मुस्लिम पक्षकार न्यायालय का निर्णय मानने को तैयार

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फैजाबाद, 6 मार्च (आईएएनएस)| अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में मध्यस्थता पर बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपना फैसला सुरक्षित रखे जाने पर संतों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए मामले को लटकाने वाला बताया है। जबकि मुस्लिम पक्षकारों ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला उन्हें मंजूर होगा। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत कमलनयन दास ने कहा, “मुस्लिमों से कतई कोई समझौता नहीं हो सकता है। भगवान राम हिदुओं के आराध्य हैं। उन पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।”

 


उन्होंने कहा, “फैसले में देरी के लिए कोर्ट खुद ही दोषी है। यहां से हर बार हिन्दुओं को अपमानित होना पड़ रहा है। यह सिर्फ मामले को लटकाया जा रहा है।”

महंत दास ने कहा, “राम जन्मभूमि कोई लड्डू नहीं है, जो सबको बांट दिया जाए। उस जगह पर केवल राम मंदिर ही बनेगा। मुसलमानों से समझौता कतई बर्दाश्त नहीं होगा।”

हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने कहा, “मध्यस्थता की बात हमने बहुत की है। 30 सालों से लगातार इसी पर लगे हैं। जब हम पहले मध्यस्थता की बात करते थे, तो दूसरे पक्ष वाले कहते थे कि यह अस्था नहीं सबूत का मामला है। जब सबूत हमारे पक्ष में है तो मामले को टाला जा रहा है।”


तपस्वी छावनी के महंत स्वामी परमहंस दास ने कहा, “मध्यस्थता से कोई रास्ता नहीं निकलेगा। मुस्लिम पक्षकारों के आतंकियों से सबंध हैं। इनसे वार्ता करने से कोई फायदा नहीं है।”

बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, “दोनों ओर पक्षकार बहुत हैं। सब लोग मिल बैठकर निर्णय कर लेते तो ज्यादा बेहतर होता। सभी लोग न्यायालय के समक्ष बैठकर मामले को सुलझा लें तो ज्यादा बेहतर है। उच्चतम न्यायालय के हर निर्णय का सम्मान है।”

उन्होंने कहा, “आपस में राजनीति करने वाले लोग बहुत हैं। ऐसे में मामले में किसी भी तरह का समझौता बहुत मुश्किल है। कोर्ट जो भी फैसला कर दें, उसको हिदू और मुसलमान मानेंगे।”

बाबरी एक्शन कमेटी के अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने कहा, “अदालत का हर निर्णय हमें मंजूर होगा।”

गौरतलब है कि अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को मध्यस्थता के जरिए आपसी बातचीत से हल करने पर बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने अयोध्या भूमि विवाद मामले पर कहा कि यह न केवल संपत्ति के बारे में, बल्कि भावना और विश्वास के बारे में भी है।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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