बाबरी विध्वंस पर फैसले से संत समाज खुश, मुस्लिम धर्मगुरु मायूस

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लखनऊ, 30 सितंबर (आईएएनएस)। अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे को ढहाए जाने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 साल बाद बुधवार को अपना फैसला सुनाया। इससे संत समाज पूरी तरह खुश नजर आ रहा है। वहीं दूसरी ओर, इस फैसले से मुस्लिम धर्मगुरु मायूस नजर आए।

अयोध्या के संतों ने खुशी जताते हुए एक स्वर में कहा कि मामले में न्याय हुआ है। सत्य की जीत हुई है। अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है और अब सभी को बरी कर दिया गया है। यह सब राम की पा से ही संभव हो सका है।


अदालत के फैसले का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने स्वागत किया है। परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा, “राम के कार्य में कोई अपराध नहीं होता है। छह दिसंबर 1992 को जो घटना हुई थी वो पूर्व नियोजित नहीं थी। मामले को लेकर न्यायालय ने आज अपना फैसला सुना दिया है।”

महंत गिरि ने आम जनमानस से अपील की है कि वे कोर्ट के आदेश को मानें। उन्होंने कहा कि न्याय के मंदिर में हमेशा सत्य की जीत होती है। न्यायालय में सबका विश्वास है। जो न्याय में विश्वास नहीं करते वह राष्ट्रद्रोही होते हैं।

संत समिति अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने कहा कि अदालत के आए इस निर्णय ने ‘दूध का दूध पानी का पानी’ कर दिया यह सत्य की जीत है। जितने लोगों का मुकदमा में नाम था उनमें से काई भी व्यक्ति ढांचा तोड़े जाने में शामिल नहीं था। यह कार्य उत्तेजित भीड़ का है, क्योंकि मैंने यह अपनी आंखों से देखा है। न्याय में आज भी भगवान बैठते है। यह निर्णय ने साबित कर दिया।


श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे लिए राष्ट्र सवरेपरि है और लोगों में देश के प्रति समान रूप से प्रेम हो इसके लिए हम सरकार से अपेक्षा करते हैं। जिन लोगों को बरी किया गया है यह वास्तव में ढांचा बचाने का प्रयास कर रहे थे।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने ढांचा विध्वंस मामले सीबीआई के फैसले पर टिप्पणी करने मना कर दिया है। कहा कि अब मुस्लिम संगठन मिल-बैठकर तय करेंगे कि इसके खिलाफ आगे अपील करनी है या नहीं। उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले के बारे में हमें कुछ नहीं कहना है। यह सभी लोग जानते हैं कि 6 दिसंबर, 1992 को किस तरीके से अयोध्या में सरेआम बाबरी मस्जिद को शहीद किया गया और कानून की धज्जियां उड़ाई गईं।

उन्होंने कहा, सुप्रीमकोर्ट ने भी रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद वाद में पिछले साल 9 नवंबर को सुनाए गए फैसले में कहा था कि मुसलमानों को गलत तरीके से उनकी मस्जिद से वंचित किया गया। बाबरी मस्जिद का विध्वंस एक गैरकानूनी कृत्य था।

रशीद ने कहा, कोई मुजरिम है या नहीं, यह तो अदालतों को ही तय करना होता है। अब मुस्लिम संगठन मिल-बैठकर तय करेंगे कि आगे अपील करनी है या नहीं। अपील करने का कोई फायदा होगा भी या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने अदालत के फैसले पर कहा, “अगर गुंजाइश तो इस सिलसिले में हमें इससे ऊपर अपील करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी बाबरी मस्जिद के फैसले में यह माना था कि मस्जिद गिराया जाना जुर्म और कानून के खिालाफ था। तब यह बताया जाए कि बाबरी गिराने वाले मुजरिम कहां हैं?”

–आईएएनएस

वीकेटी/एसजीके

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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