बांग्लादेश हिफाजत-ए-इस्लाम के 2013 में आतंकी गतिविधियों की फिर जांच कराएगा

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ढाका, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश के गृहमंत्री असदुज्जमान खान कमाल ने कहा है कि सरकार 2013 में हिफाजत-ए-इस्लाम की आतंकी गतिविधियों के 83 मामलों की जांच को लेकर फिर से सक्रिय हो रहा है।

मंगलवार की रात को आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में गृहमंत्री ने कहा, आतंकवाद के मामलों को इतने लंबे समय तक स्थगित नहीं किया जा सकता है। मामलों के विवरण की जांच की जा रही है। सरकार आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए दृढ़ संकल्प है।


बता दें कि 5 मई, 2013 को मोतीझील के शापला चतरा में हुई हिंसा में 83 मामलों में से केवल 15 में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। इसके लिए विश्लेषकों ने हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को दोषी ठहराया है। वहीं पुलिस ने कहा कि आरोपों को दायर करने में बहुत देर हुई और अब कोई गवाह उपलब्ध नहीं है।

इस देरी को लेकर कमाल ने जवाब दिया, हां विभिन्न कारणों से 7 साल बीत चुके हैं, जो एक बड़ी गलती है। अब सरकार 2013 में हुईं आतंकी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।

कट्टरपंथियों और मुक्ति-विरोधी ताकतों के नेता जुनैद बाबुनगरी और मामूनुल हक ने घोषणा की है कि अगर राजधानी के ढोलाईपार में बंगबंधु की मूर्ति स्थापित की जाती है, तो इसे तोड़ दिया जाएगा, जिससे देशभर में विवाद हो गया है। जबकि इंडोनेशिया, सऊदी अरब, ईरान, जॉर्डन और पाकिस्तान समेत विभिन्न मुस्लिम देशों में मूर्तियां हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं ने कहा है, मूर्तियां देश के इतिहास, परंपरा और यादों का प्रतीक होती हैं और दुनिया के हर देश में मूर्तियां हैं। हालांकि विपक्षी दल और अन्य राजनीतिक ताकतें इस मुद्दे पर चुप हैं।


प्रगतिवादियों ने हिफाजत-ए-इस्लाम के मूर्ति तोड़ने के बयान पर नाराजगी जताई है। इस्लामी विशेषज्ञों ने कहा कि मूर्तियां सार्वजनिक हित में स्थापित की जा सकती हैं। किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि मूर्ति हराम-हलाल मुद्दा है।

राजधानी ढाका सहित 7 जिलों में 2013 में आतंकवाद के आरोप में 83 मामले दर्ज किए गए थे। पुलिस मुख्यालय के अनुसार, ढाका के कालाबगन पुलिस स्टेशन में 2 मामले दर्ज किए गए, बागेरहाट में 6 और नारायणगंज में 5 मामले दर्ज किए गए थे।

हिफाजत की केंद्रीय समिति के महासचिव जुनैद बाबुंगरी, जमीयत उलमाए इस्लाम के महासचिव मुफ्ती व़क्का, बीएनपी-जमात और कई राजनीतिक दलों के कुछ शीर्ष नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया था। बाद में वे जमानत पर रिहा हो गए थे। इस मामले में जुनैद बाबुनगरी समेत 64,096 लोगों को दोषी ठहराया गया था।

–आईएएनएस

एसडीजे/एसजीके

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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