बाबा रामदेव की पतंजलि पर लगा करोड़ों रुपये का जुर्माना, GST घटने के बावजूद ग्राहकों को बेचा महंगा सामान

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बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (Patanjali Ayurveda Limited) पर करोड़ों रुपये का जुर्माना लगा है।खबर है कि जीएसटी दरों में कमी का लाभ ग्राहकों को नहीं देने की वजह से पतंजलि पर 75.08 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। नेशनल एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी (NAA) ने यह जुर्माना लगाया है।

अंग्रेजी अख़बार लाइव मिंट की खबर के मुताबिक, जीएसटी में कमी का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाने और सामान का रेट ज्यादा लेने के लिए बाबा रामदेव के संरक्षण वाले पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड पर 75.08 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। एनएए ने कहा कि उसे यह सुनिश्चित करने का काम मिला है कि टैक्स में कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचे। डायरेक्टर जनरल ऑफ एंटी प्रॉफिटियरिंग (DGAP) को कहा गया है कि वह चार महीने के भीतर इस जुर्माने के अनुपालन की रिपोर्ट सबमिट करें।


क्या है मामला

रिपोर्ट के मुताबिक, पतंजलि ने सेंट्रल जीएसटी कानून का उल्लंघन करते हुए टैक्स कटौती का लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया। इसलिए नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी ने पतंजलि को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जुर्माना लगाया है। गौरतलब है कि सरकार ने जीएसटी दरों को 28 फीसदी से 18 फीसदी और फिर नवंबर 2017 में 18 से 12 फीसदी कर दिया था। लेकिन पतंजलि ने इसका लाभ अपने ग्राहकों को नहीं दिया। पतंजलि ने कपड़े धोने वाले पाउडर पर जीएसटी की दरों में कटौती के बावजूद उसके रेट बढ़ा दिए और टैक्स दरें घटाने का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया।

इसके जवाब में पतंजलि का तर्क था कि जीएसटी पहले के दौर की तुलना में लागत काफी बढ़ गई थी, लेकिन उन्होंने ग्राहकों पर इस बढ़ी लागत का कोई बोझ नहीं डाला था। लेकिन एनएए ने इस तर्क को खारिज कर दिया।  एनएए ने कहा कि ग्राहकों को फायदा न पहुंचाने की यह कोई वजह नहीं हो सकती। पतंजलि ने तो यहां तक कहा कि एनएए की जांच देश में उसके कारोबार करने के अधिकार का उल्लंघन करती है, लेकिन एनएए ने उसके इस दावे को भी खारिज कर दिया।

अब एनएए ने इस मामले में कहा है कि पंतजलि को जुर्माने की राशि के साथ ही 18 फीसदी जीएसटी की राशि केंद्र और राज्य सरकारों के उपभोक्ता कल्याण फंड में जमा करनी होगी। बताते चलें कि नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी यह सुनिश्चित करती है कि जीएसटी यानि टैक्स कटौती का लाभ सही तरीके से ग्राहकों तक पहुंचे। इस अथॉरिटी को 4 महीने के अंदर उठाए गए कदमों की जानकारी अपनी रिपोर्ट में देनी होती है।



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