तीन साल पहले जहां योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) पतंजलि (Patanjali) को बुलंदियों पर पहुँचाने को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे थे। शुरुआत में पतंजलि के उत्पादों पर लोगों ने खूब भरोसा दिखाया था और इसे दनादन खरीद रहे थे। इसकी वजह से पतंजलि विदेशी कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती के रूप में उभर कर सामने आई थी। हालांकि, अब इसकी हालत खस्ता नजर आ रही है और रामदेव का कमाई बढ़ाने का दांव कामयाब होता नहीं दिख रहा है। हाल ही में आई रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 में रामदेव की कंपनी पतंजलि के उत्पादों की बिक्री में 10 फीसदी की कमी दर्ज की गयी है।
गौरतलब है कि बाबा रामदेव ने साल 2017 में दावा किया था कि उनकी कंपनी के टर्नओवर के आंकड़े मल्टीनेशनल कंपनियों को कपालभांति करने को मजबूर कर देंगे। उन्होंने कहा था कि मार्च, 2018 में वित्त वर्ष खत्म होने तक पतंजलि की बिक्री लगभग दोगुनी से ज्यादा होकर 20 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी। लेकिन इन सब दावों के विपरीत पतंजलि की बिक्री 10 फीसदी घटकर 8100 करोड़ रुपये रह गई है।
कंपनी के सूत्रों और विश्लेषकों का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष में इसमें और गिरावट का अनुमान है। पतंजलि से मिली जानकारी के आधार पर केयर रेटिंग्स ने अप्रैल में कहा था कि अनुमानित आंकड़े 9 महीने में यानि 31 दिसंबर तक कंपनी की बिक्री महज 4700 करोड़ रुपये रहने का संकेत दे रहे हैं।
कंपनी के मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों, सप्लायर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, स्टोर मैनेजर्स और कंज्यूमर्स से बातचीत में पता चला है कि कंपनी को कुछ गलत कदमों की वजह से यह नुकसान हुआ है। खास तौर पर उन्होंने तेजी से विस्तार करने की वजह से पतंजलि ने गुणवत्ता बरकरार रखने पर ध्यान नहीं दिया। हालांकि कंपनी का कहना है कि इसके तेजी से विस्तार से कुछ शुरुआती समस्याएं आईं, लेकिन उन्हें अब दूर कर लिया गया।
पतंजलि के 98.55% शेयर रखने वाले बालकृष्ण ने अप्रैल में एक इंटरव्यू में कहा था कि हमने अचानक विस्तार किया, तीन से चार नई यूनिट शुरू कीं, इसलिए समस्याएं आनी थीं। हमने नेटवर्क की दिक्कत का समाधान कर लिया है। यह भी कहा जा रहा है कि 2016 में हुई नोटबंदी और 2017 में जीएसटी लगने के बाद से कंपनी की आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं हैं।
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