बैतूल में रक्तदान को बढ़ावा देने को बनी ‘रक्त की दीवार’

  • Follow Newsd Hindi On  

बैतूल, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)| ‘रक्तदान महादान’ का संदेश जन-जन तक पहुंचाने और रक्तदान के लिए प्रोत्साहित करने के साथ तमाम भ्रांतियों को दूर करने के मकसद से मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में अभिनव प्रयोग किया गया है। यहां ‘नेकी की दीवार’ की तर्ज पर ‘रक्त की दीवार’ (वाल ऑफ वालेंटरी डोनर) बनाई जा रही है, जिस पर रक्तदाताओं की तस्वीरों को उकेरा गया है।

राज्य के आदिवासी बहुल जिलों में से एक है बैतूल। यहां अन्य क्षेत्रों के मुकाबले भ्रांतियों का प्रतिशत कहीं ज्यादा है, क्योंकि अशिक्षित और रूढ़िवादी सोच के लोगों की संख्या भी ज्यादा है, इसलिए जागरूकता का अभाव है। यही कारण है कि इन क्षेत्रों में सरकारी अभियानों को अपेक्षा के अनुरूप सहायता नहीं मिल पाती है।


लोगों में रक्तदान के प्रति जागरूकता आए और प्रोत्साहित भी हों, इसके लिए मां शारदा सहायता समिति और अमरनाथ सेवा समिति ने मिलकर अभियान शुरू किया है। इसके तहत जगह-जगह ‘रक्त की दीवार’ बनाई जा रही है। जिला मुख्यालय पर यह दीवार सार्वजनिक स्थलों पर बन चुकी है, जिस पर उन लोगों की तस्वीरें हैं जो कई बार रक्तदान कर चुके है। इसके जरिए यह बताने की कोशिश की गई है कि रक्तदान करने वाले स्वास्थ्य और प्रसन्न है, इसलिए और भी लोग इस अभियान का हिस्सा बनें, रक्तदान करें।

मां शारदा सहायता समिति के शैलेंद्र बिहारिया का कहना है कि उनकी संस्था बीते 22 साल से रक्तदान जागरूकता के लिए काम कर रही है। उसी के तहत ‘रक्त की दीवार’ बनाई है। ऐसा इसलिए, क्योंकि प्रेरणा और प्रोत्साहन वे शब्द है जो किसी भी इंसान का जीवन बदल देते हैं। इसीलिए रक्त की दीवार के जरिए रक्तदान करने वालों को प्रोत्साहित और अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिए यह अभियान चलाया है। सौ-सौ बार रक्तदान कर चुके लोगों की इस दीवार पर तस्वीर प्रदर्शित की जा रही है, जिससे अब तक रक्तदान न करने वालों को प्रेरणा मिलेगी।

बताया गया है कि इस रक्त की दीवार को जिला मुख्यालय में जगह-जगह सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शित किया जा रहा है। इस दीवार में कई रक्तदाताओं की तस्वीर है, वहीं कुछ स्थान खाली छोड़े गए हैं। साथ ही, यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि इन स्थानों पर आप की भी तस्वीर हो सकती है। बस रक्तदान का हिस्सा बन जाइए।


समिति के पंजाब राव गायकवाड़ का कहना है कि रक्त की दीवार विकासखंड स्तर तक स्थापित की जाएगी। इनमें संबंधित क्षेत्र के रक्तदान करने वालों की तस्वीरें होंगी और लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाएगा।

वहीं अब तक 40 बार रक्तदान कर चुकी सीमा मिश्रा का कहना है, “आमजन और खासकर महिलाओं में यह भ्रांति है कि रक्तदान करने से कमजोरी आती है, ऐसा बिलकुल भी नहीं है, मैं तो अब तक 40 बार रक्तदान कर चुकी हूं। रक्तदान से कतई कमजोरी नहीं आती ह्रै, बल्कि रक्तदान करने के बाद नया रक्त बनने लगता है। इसलिए महिलाएं भी इस अभियान में आगे आएं और रक्त की दीवार में अपनी तस्वीर लगवाएं। उनकी इस कोशिश से अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।”

संस्था के मुकेश गुप्ता व अकील अहमद ने बताया कि नेकी की दीवार की तर्ज पर ही रक्त कि दीवार पूरे जिले में तैयार की जा रही है, जिससे जिले में रक्त क्रांति को बल मिलेगा। साथ ही, प्रत्येक विकासखंड और गांवों में जागरूकता आएगी।

विभिन्न स्थानों पर लोगों ने जरूरतमंदों को कपड़े और अन्य सामग्री उपलब्ध कराने के मकसद से नेकी की दीवारें बनाई है। इन स्थानों पर कई परिवार अपने अनुपयोग की वस्तुएं रख जाते हैं और जिसे उसकी जरूरत होती है, वह उसे ले जाता है। ठीक उसी तर्ज पर यह रक्त की दीवार बनाई गई है। इसे जागरूकता और प्रेरणा का जरिया बनाया गया है।

जिला मुख्यालय पर बनी रक्त की दीवार सभी के आकर्षण का केंद्र है और यह नवाचार चर्चाओं में भी है। रक्तदान के लिए किए गए इस अभिनव प्रयोग से जागरूकता आएगी और लोगों में भ्रांति कम होगी, यह उम्मीद की जा सकती है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)