एक ओर कोरोना महामारी ने जनता की जीना मुहाल कर रखा है। वहीं दूसरी ओर अरहर दाल की कीमतों में तेजी जारी है। दाल के बढ़ते दाम देखकर इस बात के कयास लगाए जा रहे है कि त्योहारों पर अरहर के दाम के शायद ही कमी आए। थोक बाजार में कीमतें 100 रुपये किलो के पार पहुंच गई है।
पिछले कुछ माह में अरहर की कीमतों में 20 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। हालांकि उद्योग जगत ने मांग की है कि सरकारी एजेंसी नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (नेफेड) को दालों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए अपना स्टॉक रिलीज करने की जहमत उठाए।
दरअसल कम आपूर्ति के मुकाबले मांग मजबूत बनी हुई है, इसलिए कारोबारियों ने 2020-21 के लिए आयात कोटा जारी करने की मांग की है। वहीं सरकार का मानना है कि आपूर्ति की स्थिति ठीक है और आगामी तीन माह में खरीफ की फसल बाजार में आनी शुरू हो जाएगी जिससे दालों के दाम में गिरावट जरूर आएगी।
दूसरी ओर विशेषज्ञों का कहना है कि इस त्योहारी सीजन में भी ग्राहकों के पास महंगी अरहर खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। कारोबारियों का कहना है कि लॉकडाउन अवधि में अरहर की कीमतें 90 रुपये प्रति किलो के स्तर तक के ऊंचे भाव पहुंच गईं और बाद में ये दाम घटकर 82 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया था।
अब दाम फिर से बढ़ने लगे हैं। कारोबारियों को इस बात का डर सता रहा है कि कर्नाटक में अरहर की फसल को ज्यादा बारिश से नुकसान होगा। पैदावार 10 फीसदी तक घट सकती है। वहीं कृषि आयुक्त एस. के मल्होत्रा का कहना है कि उम्मीद है कि खरीफ सीजन में दालों का कुल उत्पादन 93 लाख टन होगा।
अरहर का उत्पादन पिछले साल के 38.3 लाख टन के मुकाबले इस साल बढ़कर 40 लाख टन होने की उम्मीद है। जब तक नई फसल नहीं आएगी, तब तक कीमतें बढ़ने के आसार बन रहेंगे। सरकार ने अप्रैल में चार लाख टन अरहर के आयात कोटा की घोषणा की थी, जिसे अभी तक आवंटित नहीं किया गया है।