भारत ने गांधी जयंती पर परमाणु हथियार का उप्रयोग पहले न करने की बात दोहराई

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संयुक्त राष्ट्र, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। परमाणु शक्ति से संपन्न भारत ने गांधी जयंती पर परमाणु हथियारों के ‘पहले प्रयोग नहीं’ की अपनी नीति और पूरी तरह से भेदभाव रहित परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को महासभा की एक उच्च-स्तरीय बैठक में यह घोषणा की, कि भारत परमाणु हथियार वाले देशों के खिलाफ ‘पहले इस्तेमाल नहीं’ की नीति और गैर-परमाणु देशों के खिलाफ उसका उपयोग न करने का समर्थन करता है।


भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते अगस्त में कहा था कि “आज तक, हमारी परमाणु नीति प्रथम उपयोग नहीं की रही है। भविष्य में क्या होता है, यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है।”

हालांकि पाकिस्तान, जिसके पास ‘पहले प्रयोग नहीं’ की नीति नहीं है, ने इसे एक प्रोपगैंडा पीस बताया और कुछ पश्चिमी निकाय और प्रकाशनों ने इसका स्वागत किया, हालांकि उन्हें लग रहा था कि भारत इसमें कोई बदलाव करने वाला है।

लेकिन श्रृंगला के बयान से स्पष्ट हो गया है कि नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया।


हर साल 2 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के स्मरणोत्सव के मद्देनजर उच्च-स्तरीय सत्र बुलाया जाता है। इसके साथ ही महात्मा गांधी के सम्मान में उनकी जयंती पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा दिवस मनाया जाता है।

श्रृंगला ने कहा, “महात्मा गांधी, जिनकी आज हम जयंती मना रहे हैं, उन्होंने कहा था- ‘आप जो भी करेंगे, वह महत्वहीन होगा, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप उसे करें’। इसी भावना के साथ भारत परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व के महान लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अन्य देशों के साथ काम करने के लिए तैयार है।”

उन्होंने आगे कहा, “भारत परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए वैश्विक, वेरिएबल और गैर-भेदभावपूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अपनी दीर्घकालिक और अटूट प्रतिबद्धता को दोहराता है।”

उनके बयान में मुख्य वाक्यांश ‘गैर-भेदभावपूर्ण’ है, जिसका अर्थ है कि परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए कोई अपवाद नहीं होगा, क्योंकि यह न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफेरेशन के तहत उन देशों का एक वर्ग निर्धारित करता है, जिन्हें परमाणु शक्ति के प्रयोग की अनुमति है।

श्रृंगला ने कहा, “हम मानते हैं कि परमाणु निरस्त्रीकरण वैश्विक प्रतिबद्धता और सहमत बहुपक्षीय फ्रेमवर्क द्वारा लिखित स्टेप-बाई-स्टेप प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।” उन्होंने आगे कहा, विश्वास और आत्मविश्वास के निर्माण के लिए परमाणु हथियारों वाले सभी देशों के बीच एक सार्थक बातचीत की जरूरत है।

–आईएएनएस

एमएनएस/एसजीके

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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