Bhagat Singh Martyrdom Day: भगत सिंह – एक ऐसे नायक जिनका नाम सुनते ही देश के हर नागरिक के मन में सम्मान और भावनाओं का ज्वार आ जाता है। देश के लिए कुछ कर गुजरने की हूक दिल में उठती है। आज भारतीय युवता के सबसे बड़े प्रतीक, मानवता के पुजारी और देशभक्ति के सबसे मशहूर मिसाल भगत सिंह (Bhagat Singh) की शहीदी दिवस (Shaheed Diwas) है।
शहीद-ए-आजम (Shaheed-E-Azam) भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था।भगत सिंह के जिक्र के बिना देश की आजादी का संघर्ष और इतिहास दोनों अधूरा है। साम्राज्यवाद के खिलाफ लोगों के दिलों में आजादी की लौ जलाने वाले महान क्रांतिकारी महज 23 वर्ष और पांच महीने की उम्र में ही शहीद हो गए थे। 23 वर्ष की छोटी सी उम्र में ही देशभक्ति की अलख जगाने के लिए लिखे गए उनके क्रांतिकारी विचार से आज भी लाखों-करोड़ों लोगों प्रेरित हो रहे हैं। आइए जानें महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह के लिखे कुछ महान विचार जो किसी का भी जीवन बदल सकते हैं।
1. ‘राख का हर कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है।’
2. ‘प्रेमी, पागल और कवि एक ही मिट्टी के बने होते हैं।’
3. ‘लोगों को कुचलकर, वे विचारों का गला नहीं घोंट सकते।’
4. ‘मैं एक इंसान हूं और जो कुछ भी इंसानियत को प्रभावित करती है उससे मेरा मतलब है।’
5. ‘जिंदगी अपने दम पर जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।’
6. ’प्यार हमेशा आदमी के चरित्र को ऊपर उठाता है, यह कभी उसे कम नहीं करता है। प्यार दो और प्यार लो।’
7. ‘हमारे लिए समझौते का मतलब कभी आत्मसमर्पण नहीं होता। सिर्फ एक कदम आगे और कुछ आराम, बस इतना ही। ‘
8. ‘जो भी विकास के लिए खड़ा है उसे हर चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा और उसे चुनौती देनी होगी।’
9. ‘आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसी के अभ्यस्त हो जाते हैं। बदलाव के विचार से ही उनकी कंपकंपी छूटने लगती है। इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की जरूरत है।’
10. ‘वे मुझे कत्ल कर सकते हैं, मेरे विचारों को नहीं। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं लेकिन मेरे जज्बे को नहीं।’
11. ‘मैं इस बात पर ज़ोर देता हूं कि मैं महत्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूं। पर मैं ज़रूरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूं और वहीं सच्चा बलिदान है।’
12. ‘क्या तुम्हें पता है कि दुनिया में सबसे बड़ा पाप गरीब होना है? गरीबी एक अभिशाप है, यह एक सजा है।’