भ्रष्टाचार से लड़ाई के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत : संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि

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नई दिल्ली, 13 दिसम्बर (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र के एक प्रतिनिधि का कहना है कि कुशासन की वजह से भ्रष्टाचार है और भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति व समग्र रूप से कार्रवाई की जरूरत है। हरियाणा के सोनीपत में ओ.पी.जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय (जेजीयू) द्वारा इस सप्ताह आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स व अपराध कार्यालय के दक्षिण एशिया के प्रतिनिधि सर्गेई कपिनोस ने कहा, “कर चोरी, धनशोधन के मामलों में त्वरित रूप से प्रभावी दखल देने की जरूरत है।”

भ्रष्टाचार की समस्या की जटिलता को इंगित करते हुए कपिनोस ने कहा, “विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब एक खरब डॉलर हर साल रिश्वत के तौर पर दिए जाते हैं। इसी तरह से वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट बताती है कि 2.6 खरब डॉलर भ्रष्टाचार के जरिए बनाई जाती है। यह वैश्विक जीडीपी का करीब 4.5 फीसदी है।”


इस सम्मेलन का विषय ‘कानून व व्यवहार में भ्रष्टाचार से मुकाबला : तुलनात्मक दृष्टिकोण’ था। इसमें इस बिंदु पर चर्चा हुई कि कैसे भ्रष्टाचार का जाल पूरे विश्व में फैल गया है और भारत इससे कैसे बुरी तरह से प्रभावित है।

जेजीयू के कुलपति सी.राजकुमार ने कहा, “इसमें जोर कानून पर और कैसे कानून सामाजिक औजार के तौर पर भ्रष्टाचार से लड़ाई करने में मदद कर सकता है, इस पर होना चाहिए। लेकिन हम जानते हैं कि कानून की कुछ सीमाएं हैं और इस तथ्य के बावजूद कई देशों के कानून नियामक ढांचे सभी रूपों में भ्रष्टाचार को रोकते हैं।”

उन्होंने कहा, “इसके लिए सामाजिक जागरूकता पैदा करने की भी जरूरत है।”


यह सम्मेलन नई दिल्ली व सोनीपत में 9-10 दिसंबर को आयोजित किया गया। इसमें चीन, ब्राजील व भूटान से प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस सम्मेलन का उद्देश्य इंटरनेशनल एंटी करप्शन डे के मौके पर संयुक्त राष्ट्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ समझौते के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के सेंटर फॉर पोस्ट ग्रेजुएट लीगल स्टडीज के चीफ प्राक्टर, दबिरु श्रीधर पटनायक ने कहा, “भ्रष्टाचार समाज को विभिन्न तरीके से प्रभावित करता है और भ्रष्टाचार मानवाधिकार का उल्लंघन भी करता है।”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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