बहुपक्षवाद और मानव जाति के साझा भाग्य के निर्माण में शक्ति डालें : भारतीय विद्वान

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बीजिंग, 25 सितम्बर (आईएएनएस)। अभी कुछ दिनों पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा का वार्षिक सत्र हुआ जहां तमाम देशों के नेताओं ने वीडियो के जरिए भाषण दिये। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपने वीडियो भाषण में कहा कि चीन सदैव बहुपक्षवाद की नीति को अपनाएगा और वैश्विक शासन में सुधार को बढ़ावा देगा। उन्होंने अपने भाषण में दुनिया से अपील की कि शांति, विकास, समानता, न्याय, लोकतंत्र और स्वतंत्रता के मूल्यों को कायम रखने के लिए सबको मिलकर चलना चाहिए।

दिल्ली स्थित जवाहार लाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. गीता कोछड़ ने सीएमजी (चाइना मीडिया ग्रुप) के साथ खास बातचीत में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भाषण को अच्छा बताया, और कहा कि राष्ट्रपति शी ने अपने भाषण में ग्लोबल वॉमिर्ंग, जलवायु परिवर्तन आदि तमाम महत्वपूर्ण बातों का जिक्र किया है।


शी चिनफिंग ने अपने भाषण में दावा किया है कि साल 2060 तक देश को कार्बन तटस्थता तक पहुंचा देंगे। इस पर जवाहार लाल नेहरू विश्वविद्यालय के चीनी तथा दक्षिण पूर्व एशियाई अध्ययन में प्रोफेसर डॉ. गीता कोछड़ ने खास बातचीत में कहा, राष्ट्रपति शी ने पेरिस संधि में शामिल बातों को आगे बढ़ाने की बात की है, जो कि बहुत अच्छी बात है। इस समय पूरी दुनिया प्रदूषण, ग्लोबल वॉमिर्ंग आदि समस्या से जूझ रही है, ऐसे में अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश से उम्मीद थी कि वह आगे बढ़कर आएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, उल्टा उसने पेरिस संधि से अपने हाथ पीछे खींच लिये हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर आज चीन जैसा देश, यहां तक कि भारत भी उसके साथ सहयोग कर रहा है, अगर ये देश मिलकर इन समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करते हैं, या फिर एक दूरदर्शी योजना बनाते हैं, तो बहुत ही अच्छी बात होगी और इस बात को राष्ट्रपति शी ने अपने भाषण में उठाई है।

इसके अलावा, राष्ट्रपति शी ने अपने भाषण में वैश्विक गांव की बात भी कही है, जो भारत की विचाराधारा वसुधैव कुटुम्बकम से मिलती-जुलती है। प्रोफेसर डॉ. गीता कोछड़ ने कहा, समस्त संसार को एकसाथ सहयोग करना चाहिए, और संयुक्त राष्ट्र संघ के बनने का उद्देश्य भी यही था कि एक ऐसा संगठन हो जिसमें हर देश की सह-भागीदारी हो।


इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी की चपेट में है, और लाखों लोगों की जान चली गई है। ऐसी वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य घटनाओं के सामने सहयोग करने के लिए सभी देशों को शामिल करने की बड़ी आवश्यकता है। जेएनयू प्रोफेसर डॉ. गीता कोछड़ ने खास बातचीत में कहा, कोरोना महामारी ने न केवल चीन, भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। यह महामारी और संबंधित आर्थिक मंदी लगभग सभी देशों को कमजोर बना देगी, उसके लिए हमें सहयोग करने की ज्यादा जरूरत है। चीन ने स्वास्थ्य रेशम मार्ग का जो प्रस्ताव दिया है, वह एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव है। अगर समस्त देश इसमें सहयोग करते हैं तो दुनिया के सभी देशों को इससे लाभ होगा।

राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपने भाषण में आर्थिक वैश्वीकरण के रूझान के खिलाफ कुछ देशों की प्रवृत्ति के बारे में वर्णन करने के लिए शुतुरमुर्ग नीति का इस्तेमाल किया है। इस बात से डॉ. गीता कोछड़ काफी हद तक सहमत हैं। उन्होंने कहा, अगर हम देखें तो यह महमारी लगभग सभी के लिए आर्थिक गिरावट का कारण बना देगी, और बहुत-सी चुनौतियां हमारे सामने आने वाली हैं। ऐसे में वैश्वीकरण-विरोधी सोच देशों के बीच अधिकाधिक विभाजन का कारण बनेगी।

उनका कहना है कि इस समय मानव कल्याण और वैश्विक उत्थान की जरूरत है। अगर कोई देश ऐसा सोचता या मानता है कि वह अकेले जीवित रह सकता है, या शीर्ष पद पर बना रह सकता है, तो यह गलत धारणा है। किसी भी शक्ति को दूसरे के विकास में बाधा नहीं पहुंचानी चाहिए। हमें बहुपक्षीय वैश्विकरण की ओर देखना चाहिए, जो कि भारत भी इसकी वकालत करता है।

संयुक्त राष्ट्र की भूमिका के बारे में अपनी राय देते हुए जेएनयू प्रोफेसर डॉ. गीता कोछड़ ने कहा, शुरू में सभी का विचार था कि एक ऐसा मंच होना चाहिए जहां प्रत्येक देश के व्यवहार को जांचने के लिए राष्ट्रों का सम्मेलन होगा, तटस्थता के साथ तर्कसंगत कार्य होंगे। हालांकि, देखा गया है कि कुछ देशों ने कई फैसले निरस्त किये हैं, और कुछ ने तो अनैतिक व्यवहार किया है, जो कि संयुक्त राष्ट्र की भावना के विपरित है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र में सुधार करना, अधिक समावेशी और अधिक पारदर्शी बनाना बहुत जरूरी हो गया है।

उन्होंने यह भी कहा, संयुक्त राष्ट्र का नेतृत्व करने वाली कुछ पश्चिमी शक्तियां जो अभी तक पुराना ढांचा अपनाये हुए हैं, उसको बदलने की जरूरत है क्योंकि दुनिया पूर्व की ओर से एक कठोर बदलाव के दौर से गुजर रही है। एशिया की शक्तियां महत्वपूर्ण हो गई हैं। अगर संयुक्त राष्ट्र अपने मौजूदा रूप से सही भूमिका नहीं निभा सकता है, तो लोगों को पूरा लाभ देने के लिए उस में सुधार लेना होगा।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप)

— आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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