भारत का पानी रोके जाने की खबरों का भूटान ने किया खंडन, कहा- असम के किसान हमारे मित्र

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भारत का पानी रोके जाने की खबरों का भूटान ने किया खंडन, कहा- असम के किसान हमारे मित्र

भूटान द्वारा भारतीय सीमा पर असम में सिंचाई के लिए पानी रोके जाने की खबरों में कोई सच्‍चाई नहीं है। भूटान की तरफ से इसका खंडन किया गया है।भूटान सरकार की ओर से दी गई सफाई में कहा गया है कि उनके देश से असम की ओर जाने वाले पानी की आपूर्ति को रोका नहीं गया है, वो पहले की तरह ही जारी है। भूटान ने कहा है कि असम में पानी की निर्बाध आपूर्ति के लिए वह बांध पर मरम्मत का काम कर रहा था। पड़ोसी देश ने कहा है कि भूटान और असम के रिश्तों में फूट डालने के लिए इस तरह की बातें फैलाई जा रही हैं।

भूटान के वित्त मंत्री ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘भूटान से भारतीय राज्य असम तक पानी रोका नहीं गया है। पानी का प्रवाह स्थानीय लोगों के साथ जारी है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं। भारत के हमारे किसान मित्रों को दैफाम-उदलगुरी, समरंग-भंगातर, मोटोंगा-बोकाजुले और समद्रपोंगखार से पानी की निरंतर आपूर्ति की जा रही है।’


वहीं, असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा ने कहा कि असम में सिंचाई का पानी भूटान की पहाड़ियों से आता है। कई बार बड़े पत्थरों की वजह से पानी का बहाव रुक जाता है। हमने भूटान से बात की और उसने तुरंत इसे ठीक कर दिया। कोई विवाद नहीं है।

गौरतलब है कि गुरुवार से ऐसी ख़बरें आ रही थीं कि भूटान ने असम के बक्सा जिले के किसानों का पानी रोक दिया है। दो-तीन दिनों से बक्सा के किसानों के खिलाफ भूटान के स्थानीय लोग विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ दिन पहले प्रदर्शनकारियों ने रोंगिया-भूटान सड़क भी जाम की थी। किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार भूटान के सामने इस मुद्दे को उठाए।

बता दें कि असम के बक्सा जिले के 26 से ज्यादा गांवों के करीब 6000 किसान सिंचाई के लिए डोंग परियोजना पर निर्भर हैं। साल 1953 के बाद से किसान धान की सिंचाई के लिए भूटान की नदियों से पानी लेते रहे हैं। दरअसल, धान के मौसम में हर साल बक्सा के किसान भारत-भूटान सीमा पर समद्रूप जोंगखार इलाके में जाते हैं और काला नदी का पानी सिंचाई के लिए लाते हैं।


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