बिहार : गया की पहाड़ियों पर पेड़ उगा रहे सिंकदर!

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गया (बिहार), 22 फरवरी (आईएएनएस)। बिहार के गया की पहचान दशरथ मांझी को लेकर है, जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर लगातार 22 साल तक छेनी-हथौड़े से पहाड़ काट कर रास्ता बनाया। उनके इसी जुनून को अपना आदर्श बनाकर गया का सिकंदर अब पहाड़ों पर पेड़ उगाकर पर्यावरण का संदेश दे रहा है।

सिकंदर का दावा है कि उसने यह काम 1982 में शुरू किया था और अब तक एक लाख से अधिक पौधे लगा चुका है।


गया के रहने वाले सिकंदर का पूरा नाम दिलीप कुमार सिकंदर है। सिकंदर करीब 39 सालों से शहर के बीचोबीच स्थित ब्रह्मयानि पहाड़ पर पौधारोपण करने का काम करते आ रहे हैं। सिकंदर कहते हैं कि वे गया में बिना पेडों के पहाड़ों को देखकर मायूस हो जाते थे, अचानक किशोरावस्था में ही उन्हें पहाड़ों पर पौधा लगाने को सूझा और फिर इस काम में लग गए। वे कहते हैं कि अब तो यह उनका जीवन बन गया है।

वे कहते हैं कि प्रारंभ में उसे इस कार्य में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब यह जुनून बन गया है। सिकंदर ने गया इंजीनियरिंग कंपनी में बिजली मिस्त्री की नौकरी भी की, लेकिन जब नौकरी इस कार्य में बाधा उत्पन्न करने लगी तब उसने नौकरी भी छोड़ दी।

प्रकृति के प्रेम में जुनूनी सिकंदर अपनी कमाई के आधे से ज्यादा पैसों से वो पौधारोपण करने लगे। वे कहते हैं कि कई पौधे तो नर्सरी से मिल जाते हैं तो कई बार पौधे खरीदने पड़ते हैं। सिकंदर ना केवल पौधे लगाते हैं बल्कि उनकी देखभाल भी करते हैं।


सिकंदर के 24 घंटों में से 6 से 7 घंटे वे पहाड़ों और पेड़-पौधों के बीच गुजारते हैं। उन्होंने कहा कि ब्रह्मयानी पहाड़ी, इस पहाड़ी की तलहटी में बसे खजूरिया पहाडी, रामशिला पर्वत, रामसागर तालाब और फल्गु नदी के किनारे हजारों पौधे लगा चुके हैं। उनकी योजना पहाड़ों पर हरियाली लाने की है। हालांकि वे पहाड़ों, जलाशयों और नदियों पर अतिक्रमण को लेकर परेशान और दुखी हैं।

वे आईएएनएस को बताते हैं, गर्मी के दिनों में नीचे से पानी का गैलन लेकर ऊपर पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है़, इसमें काफी परेशानी होती है। साइकिल से पानी का गैलन लाकर पौधों को जिंदा रखना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि खजूरिया पहाड़ के नीचे एक छोटा तालाब भी निर्माण किया है, जिसमें बरसात का पानी जमा हो जाता है।

उनका मानना है कि पेड़ से अगर हम प्यार करेंगे तभी वे हमें प्यार देंगे। उन्होंने कहा कि जब पेड़ ही नहीं रहेंगे तो मनुष्य का जीवन भी नहीं होगा।

उन्होंने सरकारी सहायता मिलने के संबंध में पूछने पर कहा, अभी तक तो कोई सहायता नहीं मिली है, हां, वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा एक प्रशस्ति पत्र जरूर दिया गया है। ऐसे सिकंदर को कई संस्थाओं और संगठनों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

सिकंदर शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों की याद में भी पौधे लगाते हैं, जिसपर वे बजाप्ता उनका नाम का बोर्ड लगाते हैं। खजुरिया पहाड़ पर लगाए गए उनकी बगिया में सुभाष चंद्र बोस, महत्मा गांधी के नाम वाले पेड़ तो हैं ही, पुलवामा में शहीद हुए लोगों के नाम पर भी पेड़ लहलहा रहे हैं।

सिकंदर का कहना है कि उन्हें सरकार से सहायता नहीं देने की कोई शिकायत नहीं है लेकिन सरकार और अधिकारियों को प्राकृतिक संपदाओं को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए पहल जरूरी करनी चाहिए।

–आईएएनएस

एमएनपी-एसकेपी

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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