बिहार में जद-यू, भाजपा का ‘रिश्ता क्या कहलाता है’!

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 पटना, 20 जुलाई (आईएएनएस)| बिहार में जनता दल (युनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार भले ही चल रही हो परंतु बिहार सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसके अनुषांगिक ईकाइयों की जांच के आदेश के बाद भाजपा के नेताओं के द्वारा जिस तरह की बयानबाजी शुरू हो गई है, उससे यह कहा जाने लगा है कि ‘यह रिश्ता क्या कहलाता है।

 ‘ भाजपा के विधान पार्षद और पार्टी के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद राय ने शनिवार को स्वयं पूछा कि ‘आखिर यह रिश्ता क्या कहलाता है।’


राय ने कहा, “मैं नहीं जानता कि अभी तक भाजपा क्यों गठबंधन का हिस्सा बनी हुई है। भाजपा में इतना दम है कि वो अकेले ही चुनाव लड़ सकती है।”

उन्होंने अपने अंदाज में कहा, “मुझे तो यही समझ नहीं आ रहा कि यह संबंध (रिश्ता) क्या कहलाता है ?”

राय ने बेबाक अंदाज में कहा कि नीतीश कुमार की सरकार बनी रहेगी। आप साथ रहें या कोई और साथ रहेगी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं। बिहार के हालातों पर चिंता जाहिर करते हुए सच्चिदानंद ने कहा कि इस मामले में केंद्रीय नेतृत्व को तुंरत फैसला लेना चाहिए और बिहार के गठबंधन पर चर्चा करनी चाहिए।


अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी आरएसएस और इससे जुड़े संगठनों की जांच के लिए इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दोषी बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को बिना बताए या उनकी इजाजत के बिना इतना बड़ा निर्णय कैसे लिया गया?

सिंह ने कहा, “यह किसी को समझ में ही नहीं आया कि जांच कराने के आदेश देने के पीछे क्या कारण था? बिहार में जद-यू, भाजपा के साथ सरकार में है और संघ हमारा मातृ संगठन है।” उन्होंने कहा कि जो घटना घटी, वो काफी आपत्तिजनक थी। इस घटना से लोगों में इतना आक्रोश है कि लोग अब पूछ रहे हैं कि हम सरकार में हैं या सरकार से बाहर?

उन्होंने हालांकि शनिवार को यह भी कहा कि इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं, अब जांच के बाद ही कुछ पता चलेगा।

इस बीच, झारखंड और बिहार के दौरे पर पहुंचे भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आरएसएस देशभक्तों का संगठन है। सामाजिक कार्यो में अपना जीवन देने वाले कार्यकर्ता देश को मजबूत बनाने में लगे हैं, ऐसे में इन संगठनों की जांच बर्दाश्त के लायक नहीं है।

राजद भी भाजपा और जद-यू के बीच चल रही इस रस्साकसी में अपनी रोटी सेंकने की कोशिश में है। राजद के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह कहते हैं कि राजनीति में किसी से बैर नहीं होता। नीतीश के लिए राजद में ‘नो इंट्री’ हटाए जाने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भाजपा को खदेड़ने के लिए सबको साथ आना होगा।

हालांकि राजनीति के जानकार इसे बहुत जल्दबाजी मानते हैं। पटना के वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह कहते हैं कि अगले साल चुनाव होना है। ऐसे में भाजपा और जद (यू) में यह रस्साकसी चलती रहेगी, परंतु दोनों अलग होंगे, यह कहना अभी जल्दबाजी है। उन्होंने इसे दबाव की राजनीति बताते हुए कहा कि दोनों दल ‘बड़े भाई’ बनने की जुगाड़ में हैं।

इधर, जद-यू नेता क़े सी़ त्यागी भाजपा के ऐसे नेताओं को ‘छपास रोगी’ (अखबार में छपने वाला) बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे लोगों को लेकर चिंता भी जता चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में पुलिस की विशेष शाखा द्वारा आरएसएस एवं उसके संगठनों की जांच को लेकर एक पत्र सामने आआ है, जिसको लेकर भाजपा नाराज है।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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