बिहार : प्रधानमंत्री के लिट्टी-चोखा खाने को विपक्ष ने चुनाव से जोड़कर किया कटाक्ष

  • Follow Newsd Hindi On  

पटना | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुधवार को दिल्ली में चल रहे ‘हुनर हाट’ में बिहारी व्यंजन लिट्टी चोखा का स्वाद लिए जाने के बाद बिहार की सियासत गर्म हो गई है। विपक्ष इसे बिहार चुनाव से जोड़कर देख रहा है। बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी प्रधानमंत्री के लिट्टी चोखा खाने पर कटाक्ष किया है। राजद के नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव ने प्रधानमंत्री के एक ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए अपने अंदाज में लिखा, “कतनो खईब लिट्टी चोखा, बिहार ना भुली राउर धोखा़़.!”

इधर, तेजप्रताप के साथ ही राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट किया है, “आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का धन्यवाद मशहूर बिहारी खाना पसंद करने के लिए। बिहार के मुख्यमंत्री मांग नहीं सकते, इसलिए मैं आपका ध्यान बिहार के हिस्से के लिए जरूरी मुद्दों पर खींचना चाहता हूं- विशेष दर्जा, स्पेशल पैकेज के लिए फंड, बाढ़ राहत कोष और आयुष्मान भारत के लिए फंड।”


राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी प्रधानमंत्री के लिट्टी-चोखा खानेवाली तस्वीर को ट्वीट करते हुए कटाक्ष करते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री जी, आपको बिहार की याद आई, इसके लिए सहर्ष आभार! उम्मीद है कि बिहार आने से पूर्व बकाया भुगतान कर देंगे। विशेष राज्य, विशेष पैकेज, शिक्षा, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं वित्तरहित शिक्षकों के लिए अनुदान जल्दी से जारी करवा दीजिए। नीतीश कुमार जी कुछ न मांगेंगे।”

उल्लेखनीय है कि नई दिल्ली के राजघाट पर चल रहे हुनर हाट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लिट्टी चोखा का स्वाद लिया था और उसकी तस्वीर ट्विटर पर साझा की।

इसके बाद ही इन तस्वीरों को बिहार चुनाव से जोड़ा जाने लगा। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस साल के अंतिम में बिहार चुनाव है, इसलिए प्रधानमंत्री लिट्टी चोखा खा रहे हैं, ताकि बिहार के लोगों से सीधा संबंध साध सकें।

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने प्रधानमंत्री के लिट्टी-चोखा खाने पर तंज कसते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री जी बिहारी व्यंजन लिट्टी-चोखा खाने के लिए धन्यवाद। आपके लिट्टी-चोखा खाने के ऐतिहासिक कार्य को क्या बिहार चुनाव की घोषणा मानी जाए? क्योंकि आपको राज्यों की याद तब ही आती है, जब वहां चुनाव होता है। “


(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)