बिहार: उपचुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश के ‘चेहरे’ की साख दांव पर, क्या बरकरार रहेगा CM का जादू

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पटना | बिहार में विधानसभा की पांच और लोकसभा की एक सीट पर होने वाले उपचुनाव को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। सत्ताधारी जनता दल (युनाइटेड) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘चेहरे’ पर वोट मिलने का भरोसा है, लेकिन राजनीति के गलियारे में माना जा रहा है कि इस उपचुनाव में नीतीश के ‘चेहरे’ की साख दांव पर रहेगी।

जद (यू) की कृपा से बिहार सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी (BJP) केंद्र और राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार होने के कारण दावा कर रही है कि ‘डबल इंजन’ सरकार की जीत होगी।


उपचुनाव वाली पांच विधानसभा सीटों में से चार पर जद (यू) ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि किशनंगज विधानसभा सीट भाजपा के हिस्से में आई है। समस्तीपुर लोकसभा सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) चुनाव लड़ रही है।

जद (यू) के वरिष्ठ नेता और बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक ने कहा, “इस उपचुनाव में नीतीश कुमार का जादू चल जाएगा और ये चुनाव कोई सेमीफाइनल नहीं है। नीतीश कुमार के किए विकास के नाम पर बिहार में फिर से हमें वोट मिलेंगे।”

वैसे, बिहार की राजनीतिक फिजा में यह सवाल तैर रहा है कि इस उपचुनाव में जद (यू) अध्यक्ष नतीश कुमार की साख भी दांव पर लगी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उपचुनाव का परिणाम अगर अनुकूल रहा तो नीतीश कुमार के लिए 2020 का रास्ता बहुत हद तक आसान कर देगा। इसके अलावा यह भी साफ हो जाएगा कि क्या बिहार में नीतीश के चेहरे का जादू बरकरार है या फिर राजग को 2020 का चुनाव किसी और के ‘चेहरे’ पर लड़ना होगा।


बीबीसी के संवाददाता रहे मणिकांत ठाकुर कहते हैं, “यह सच है कि इस उपचुनाव के परिणाम को भले ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में नहीं लिया जाए, परंतु जद (यू) के लिए यह अग्निपरीक्षा है। अगर परिणाम अनुकूल नहीं रहे तो नीतीश के चेहरे का सिक्का अगले विधानसभा चुनाव में फिर चल पाएगा, इसमें संदेह है और तब भाजपा का पलड़ा अधिक भारी हो जाएगा।”

जद (यू) के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह सधे अंदाज में कहते हैं, “मतदाता अब विकास के नाम पर वोट देते हैं। नीतीश कुमार के विकास की चर्चा पूरा देश करता है, उसका फायदा उपचुनाव में भी मिलेगा।”

वैसे, यह भी कहा जा रहा है कि जद (यू) अगर अपनी चार सीटों पर कब्जा बरकरार रखता है, तब नीतीश की अहमियत गठबंधन में और बढ़ेगी, जिसका फायदा अगले विधानसभा चुनाव के सीट बंटवारे के समय देखने को मिल सकता है।

इधर, भाजपा के नेता इस उपचुनाव को लेकर नीतीश कुमार के चेहरे पर खुलकर बहुत कुछ नहीं बोलते हैं।

भाजपा के विधायक संजीव चौरसिया का कहना है कि बिहार और केंद्र में एक ही गठबंधन की सरकार होने का लाभ बिहार को मिल रहा है। इस उपचुनाव में भी ‘डबल इंजन’ का लाभ मिलेगा।

बहरहाल, इस उपचुनाव का परिणाम बिहार की राजनीति में सिर्फ परिणाम भर नहीं, बल्कि अगले चुनाव को लेकर नीतीश के ‘चेहरे’ की साख पर भी दांव लगाएगा तथा उनके 200 सीट पार के दावे को भी मजबूत और कमजोर कर सकता है।

उल्लेखनीय है कि बिहार की पांच विधानसभा सीटों- किशनगंज, सिमरी बख्तियारपुर, दरौंदा, नाथनगर एवं बेलहर तथा समस्तीपुर की एक लोकसभा सीट के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होना है। परिणाम 24 अक्टूबर को आएंगे।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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