बिहार: नीतीश की नजरों में चुभने वाले BJP नेताओं का कटा टिकट, जानें इसके पीछे की कहानी

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मौजूदा समय की गलाकाट राजनीति में राजनीतिक दुश्मनों को किनारे करने का मौका ज्यादातर नेता नहीं छोड़ना चाहते। और खासकर चुनाव के इस समय में जब नेताओं के भविष्य का फैसला होता है। कुछ ऐसा ही मामला है बिहार में जहां यह आम चर्चा है के भाजपा के कुछ नेताओं के टिकट कटने में नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका थी। दरअसल नीतीश कुमार जब NDA में नहीं थे तब भाजपा के कई नेता नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोले रहते थे। यहां तक के जदयू के भी कुछ नेता नीतीश के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किये रखते थे। मगर चुनाव में ऐसे कई नेताओं का टिकट कट गया है।

इस बार लोकसभा चुनाव में बिहार के कई बड़े नेताओं का टिकट कट गया है। वहीं टिकट कटने के पीछे यह चर्चा है के नीतीश कुमार सीधे-सीधे इन फैसलों में शामिल थे और सारा कुछ उनके इशारे पर हुआ। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में उनके विरोधी कहते आये हैं कि वो अपने सियासी विरोधियों को किनारे लगाने में बड़े माहिर हैं। कभी नीतीश कुमार के साथ रहने वालों ने उनके खिलाफ झंडा बुलंद कर भाजपा का दामन थाम लिया और बड़े नेता भी बन गए। लेकिन बिहार में जब नीतीश एक बार फिर NDA में शामिल हुए तो वहां भी उनका दखल कम नहीं हुआ।


कहा तो यह भी जा रहा है के बिहार में टिकट बंटवारे में उन्होंने जैसे जिसको चाहा टिकट दिया, और अपने बागियों को ना सिर्फ टिकट से वंचित किया बल्कि भाजपा से भी बाहर जाने को मजबूर कर दिया। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और जदयू नेता दिग्विजय सिंह की पत्नी पुतुल सिंह, सम्राट चौधरी, नीतीश मिश्रा और रेणु कुशवाहा कभी जदयू में हुआ करते थे। इनमें से अधिकतर टिकट के दावेदार तक थे। पुतुल देवी बांका से तो सम्राट चौधरी खगड़िया से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में थे। सम्राट चौधरी ने पार्टी नेतृत्व के इशारे पर तैयारी भी शुरू कर दी थी। लगातार जनसंपर्क में भी लगे हुए थे। ऐसे में जब इस बार दावेदारी के बावजूद भाजपा से टिकट नहीं मिली तो चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि नीतीश कुमार ने उनसे पुराना हिसाब बराबर तो नहीं कर लिया?

सम्राट चौधरी-नीतीश मिश्रा शांत, पुतुल सिंह आक्रमक

सम्राट चौधरी और नीतीश मिश्रा तो फिलहाल शांत हैं, लेकिन पुतुल सिंह आक्रमक हैं। उन्होंने तो बांका से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है। इन दिनों सियासी गलियारों में चर्चा जोरों से है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन नेताओं से पुराना बदला ले रहे हैं। दरअसल राजद छोड़ने के बाद पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी ने नीतीश का दामन थामा था और नगर आवास विभाग की जिम्मेदारी भी संभाली। हालांकि बाद में जदयू से भी बगाबत कर बैठे। ऐसा ही हाल नितीश मिश्रा और रेणु कुशवाहा का भी है। रेणु कुशवाहा अपने पति को पिछले लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर मंत्री पद छोड़ भाजपा में शामिल हो गई थी।


इन नेताओं की जहां-जहां से दावेदारी थी वो तमाम सीटें या तो जदयू के खाते में चली गईं या लोजपा के हिस्से में उस सीट को नीतीश डलवाने में कामयाब हो गए। साथ ही साथ अपने उम्मीदवार से भाजपा के जातिगत समीकरण को भी अप्रसांगिक बना दिया। ऐसे में भले ही ये नेता कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं लेकिन समर्थक नीतीश और सुशील मोदी के खिलाफ भड़ास उतारने में लगे है। सम्राट चौधरी जिस बिरादरी से आते है उसके कई बड़े दिग्गज नेताओं ने भाजपा को ओबीसी विरोधी बताते हुए पार्टी छोड़ दी है। इनमें बांका से श्रीधर मंडल और गया के वरिष्ठ नेता अजय कुशवाहा का नाम शामिल है। एक पूर्व मंत्री बसावन भगत भी सीएम नीतीश के खिलाफ सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल दिया है और मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाया है।

शाहनवाज का दर्द और गिरिराज की नाराजगी

वरिष्ठ भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन को भी टिकट कटने का दर्द है। शाहनवाज तो इसका जिम्मेदार सीधे जदयू को बता चुके हैं। उन्होंने अपना दर्द सोशल मीडिया के जरिए जाहिर भी किया है। अंत में आते हैं भाजपा के फायर ब्रांड नेता और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर। इस पूरे प्रक्ररण में सबसे ज्यादा जो नाम चर्चा में रहा वो गिरिराज सिंह ही थे। गिरिराज को नवादा से बेगूसराय भेज दिया गया जिससे वो खासे नाराज हो गए और आखिरकार पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के कहने पर वो बेगूसराय जाने को तैयार हुए।

दरअसल इसके पीछे बात यह है के मुंगेर सीट लोजपा से जदयू ने अपने हिस्से में कर लिया, जिसके बदले में नवादा सीट लोजपा को मिली और गिरिराज को अपनी मौजूदा सीट की कुर्बानी देनी पड़ी। मुंगेर, नवादा और बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में भूमिहारों की संख्या निर्णायक मानी जाती है और बलिया लोकसभा से लोजपा उपाध्यक्ष सूरजभान सिंह सांसद भी रह चुके हैं। ऐसे में उनकी पत्नी को नवादा के बदले बेगूसराय भी भेजा जा सकता था लेकिन गिरिराज की सीटिंग सीट पर भेज कर सीएम ने अपना पुराना हिसाब पूरा कर लिया। दरअसल गिरिराज सिंह नीतीश के सबसे बड़े आलोचकों में से एक माने जाते हैं। गठबंधन टूटने के बाद नीतीश पर सबसे ज्यादा हमलावर गिरिराज सिंह ही रहते थे। ऐसे में पिछले कुछ दिनों में बिहार में जो तस्वीर सामने आई और बहुतों का टिकट कट गया उससे इस चर्चा को बल मिला के क्या वाकई नीतीश कुमार ने अपना बदला ले लिया।

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