बिहार के नवादा जिले से एक बार फिर चिकित्सा सेवा को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहाँ सदर अस्पताल में गुरुवार रात एक कैंसर पीड़ित 13 साल की बच्ची की मौत हो गई। मृत गुड़िया के पिता राजकुमार ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव और लापरवाही के चलते मेरी बेटी की मौत हुई। उन्होंने अस्पताल और इसके डॉक्टर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, नवादा सदर अस्पताल में अपनी बच्ची को लेकर आए पिता ने ऑक्सीजन के लिए खूब गिड़गिड़ाया लेकिन उसे ऑक्सीजन मुहैया नहीं कराया गया। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन देने के लिए जो सिलेंडर लगाया गया, वह खाली था। ऑक्सीजन मास्क भी फटा हुआ था। उन्होंने डॉक्टर पर प्राइवेट प्रैक्टिस का भी आरोप लगाया।
बच्ची को सांस लेने में परेशानी हो रही थी, जिसके चलते परिजन उसे अस्पताल लाए थे। उनका कहना था कि बच्ची को जो ऑक्सीजन मास्क लगाया गया वह ठीक नहीं था। सिलेंडर में ऑक्सीजन नहीं था, जिसके चलते बच्ची की मौत हो गई। बच्ची का मुंबई के जिस अस्पताल में इलाज चल रहा था, वहां के डॉक्टर ने कहा था, बच्ची दो साल और जिएगी। लॉकडाउन के चलते अभी उसे मुंबई नहीं ले जा सका और मजबूरी में सदर अस्पताल ले जाया गया था।
…जानते हैं ये लोग चुपचाप खड़े होकर इस शख्स को क्यों सुन रहे हैं, क्योंकि इन लोगों के पास इनकी बच्ची की मौत का जवाब नहीं है।
बिहार के नवादा जिला अस्पताल में कल रात एक बच्ची की मौत के बाद उसके पिता ने अस्पताल पर मास्क और ऑक्सीजन सिलेंडर में लापरवाही बरतने के गंभीर आरोप लगाए हैं। pic.twitter.com/3DMag1j2nN
— Utkarsh Kumar Singh (@UtkarshSingh_) April 17, 2020
बच्ची की मौत के कुछ देर बाद का एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में राजकुमार डॉक्टर और अस्पताल कर्मियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं। बेबस और लाचार पिता सिविल सर्जन (CS) के सामने बार-बार बोले जा रहा है कि सर, मेरी बेटी को बचाया जा सकता था आपलोग अगर सजग रहते। आप लोगों की लापरवाही ने मेरी बच्ची की जान ले ली।
अस्पताल ने बच्ची की मौत का ठीकरा परिजनों पर फोड़ा
बता दें कि बिहार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने इस मामले पर संज्ञान लिया है और सिविल सर्जन (CS) से ट्रीटमेंट डिटेल के साथ ही पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी। अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ विमल कुमार ने बताया कि लड़की कैंसर पीड़ित थी। उसकी हालत काफी नाजुक थी। हम तो नालंदा के पावापुरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिए थे, अगर बच्ची को परिजन नहीं ले गए तो मैं क्या करूं? इस बीच अस्पताल प्रशासन ने उसे बचाने की हर संभव कोशिश की।