लगातार गिरती जीडीपी (GDP) से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि देश आर्थिक मंदी की चपेट में है। पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने भी रविवार को मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था (Economy) की हालत काफी चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि भारत में तेजी से वृद्धि की संभावनाएं हैं लेकिन मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन के कारण इकॉनमी में यह नरमी आयी है।
अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर घिरी केंद्र सरकार को लेकर बीजेपी (BJP) बचाव की मुद्रा में है। इस बीच बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Modi) ने अजीबोगरीब बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि हर साल सावन-भादो में मंदी रहती है।
बिहार के वित्त मंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी (Sushil Modi) ने ट्विटर पर लिखा, ”केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए 32 सूत्री राहत पैकेज की घोषणा और 10 छोटे बैंकों के विलय की पहल से लेंडिंग कैपिसिटी बढ़ाने जैसे जो चौतरफा उपाय किये हैं, उनका असर अगली तिमाही में महसूस किया जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा, ”वैसे तो हर साल सावन-भादो में मंदी रहती है, लेकिन इस बार मंदी का ज्यादा शोर मचाकर कुछ लोग चुनावी पराजय की खीझ उतार रहे हैं।”
केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए 32 सूत्री राहत पैकेज की घोषणा और 10 छोटे बैंकों के विलय की पहल से लेंडिंग कैपिसिटी बढ़ाने जैसे जो चौतरफा उपाय किये हैं, उनका असर अगली तिमाही में महसूस किया जाएगा।
वैसे तो हर साल सावन-भादो में मंदी रहती है, लेकिन इस बार……. pic.twitter.com/6pu1xkqzWP
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) September 1, 2019
सुशील मोदी ने कहा, ”बिहार में मंदी का खास असर नहीं है इसलिए वाहनों की बिक्री नहीं घटी। केंद्र सरकार जल्द ही तीसरा पैकेज घोषित करने वाली है।”
गौरतलब है कि देश में मंदी को लेकर रविवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैं उद्योग प्रतिनिधियों से मिल रही हूं और उनकी समस्याएं सुन रही हूं और सरकार से वे क्या चाहते हैं, इस पर सुझाव ले रही हूं।
बता दें कि देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में महज एक साल की अवधि में 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले दिनों जारी आंकड़े के मुताबिक जीडीपी की विकास दर में लगातार चौथी तिमाही गिरावट दर्ज की गई। जीडीपी की रफ्तार वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में घटकर 5 फीसदी रही, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में यह 5.8 फीसदी रही थी। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में यह 8 फीसदी थी।