लॉकडाउन में दर्द और तकलीफ की कई दास्तानें सामने आई हैं। बिहार के नालंदा जिले में एक क्वारंटाइन सेंटर में रह रही एक प्रवासी महिला के गर्भ में पल रहा बच्चा लापरवाही बदइंतजामी की भेंट चढ़कर मर गया। उत्तर प्रदेश से आई प्रिया सिंह नामक यह महिला चार दिनों तक दर्द से छटपटाती रही, पर उसे अस्पताल भेजने की जरूरत नहीं समझी गई। बार-बार गुहार लगाने पर भी महिला को कोई डॉक्टर देखने नहीं आया। सिविल सर्जन ने कहा कि महिला ने कोई जानकारी ही नहीं दी थी, जिसके चलते उसका इलाज नहीं हो पाया। घटना नालंदा जिले के रहुई प्रखंड अंतर्गत मोरा तालाब स्थित नालंदा विद्या मंदिर क्वारंटाइन सेंटर की है।
चार दिन से दर्द से कराह रही थी गर्भवती
रिपोर्ट के मुताबिक, महिला को चार दिन पहले ही स्टेशन से क्वारंटाइन सेंटर लाया गया था। पीड़िता के साथ क्वारंटाइन सेंटर में रह रही एक अन्य लड़की ने बताया कि चार दिन पहले दोनों ट्रेन से गया स्टेशन पर उतरे थे। इसके बाद उन्हें यहां लाया गया। गर्भवती महिला को उसी रात दर्द शुरू हुआ और रक्तस्राव होने लगा। उसने लोगों से डॉक्टर के पास भेजने की गुहार लगाई, लेकिन अनसुनी कर दी गई। इसके बाद उसे प्राइवेट डॉक्टर के पास ले जाया गया।
अल्ट्रासाउंड में मरा मिला बच्चा
प्राइवेट डॉक्टर ने दवा देने के बाद तत्काल अल्ट्रासाउंड कराने की बात कही। इसके बाद महिला ने परिजनों को फोन कर बुलाया गया, फिर निजी वाहन से पति के साथ भेजकर अल्ट्रासाउंड कराया गया। रिपोर्ट में बच्चे की मौत हो जाने की बात सामने आई।
सिविल सर्जन बोले: महिला ने नहीं दी जानकारी
वहीं इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. राम सिंह ने आश्चर्यजनक बयान दिया। उन्होंने कहा कि यूपी की गर्भवती क्वारंटाइन सेंटर में जबसे आई थी, उसे रक्तस्राव हो रहा था, लेकिन उसने किसी को इसकी जानकारी नहीं दी। सदर अस्पताल के किसी भी पदाधिकारी को जानकारी होती तो संज्ञान लिया जाता। जानकारी मिलते ही उसे एंबुलेंस भेजकर सदर अस्पताल लाया गया। लेकिन, तब तक तक काफी देर हो चुकी थी।