चुनाव आयोग ने देशभर में राज्यसभा की खाली हुई 12 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर दी है, जिनमें बिहार की दो सीटें भी शामिल हैं। बिहार से राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर और मीसा भारती ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था, जिससे ये दो सीटें खाली हो गई थीं। अब इन सीटों पर उपचुनाव होना है।
उपचुनाव की महत्वपूर्ण तिथियाँ
चुनाव आयोग के अनुसार, मीसा भारती का कार्यकाल 7 जुलाई 2028 तक था, जबकि विवेक ठाकुर का कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 तक था। उपचुनाव में जीतने वाले उम्मीदवार का कार्यकाल इन्हीं तिथियों तक रहेगा। चुनाव आयोग ने इन उपचुनावों की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके मुताबिक नामांकन प्रक्रिया 14 अगस्त से शुरू होगी। उम्मीदवार 21 अगस्त तक अपने नामांकन दाखिल कर सकेंगे और 27 अगस्त को नाम वापसी की अंतिम तिथि होगी। यदि मतदान की आवश्यकता पड़ी तो 3 सितंबर को वोटिंग होगी और उसी दिन परिणाम भी घोषित किए जाएंगे।
मतदान की संभावनाएँ और एनडीए की स्थिति
बिहार में इन दोनों सीटों के उपचुनाव में मतदान की संभावना न के बराबर है। दरअसल, दोनों सीटों पर अलग-अलग मतदान होगा और संख्या बल के आधार पर एनडीए के दोनों सीटों पर जीत हासिल करने की संभावना है। बिहार में राज्यसभा चुनावों में वोटिंग की नौबत शायद ही कभी आती है, क्योंकि यहां राजनीतिक दलों के बीच समझौते और संख्या बल के आधार पर उम्मीदवार निर्विरोध चुने जाते हैं। बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में, एनडीए का प्रभाव स्पष्ट है और उनके पास आवश्यक संख्या बल मौजूद है। इसके चलते, यह माना जा रहा है कि एनडीए के उम्मीदवार इन दोनों सीटों पर आसानी से जीत दर्ज करेंगे।
राज्यसभा में संतुलन का महत्व
राज्यसभा में सीटों के संतुलन के लिहाज से यह चुनाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे केंद्र में सत्ताधारी दल की स्थिति मजबूत होगी। राज्यसभा चुनाव के इस उपचुनाव में उम्मीदवारों के चयन और उनकी रणनीति पर भी ध्यान देना होगा। बिहार की राजनीति में जातिगत समीकरणों और राजनीतिक ध्रुवीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टियां किस तरह के उम्मीदवारों को मैदान में उतारती हैं। इसके अलावा, बिहार के स्थानीय मुद्दे, विकास योजनाएं और राज्य के आर्थिक हालात भी इस चुनाव में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
राजनीतिक दलों की तैयारियाँ
चुनाव परिणाम से यह भी स्पष्ट होगा कि राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन की लोकप्रियता और उनकी नीतियों का जनता पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। चुनाव आयोग की इस घोषणा के बाद, राजनीतिक दलों में सरगर्मी बढ़ गई है और उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया में तेजी आ गई है। एनडीए और विपक्षी दल, दोनों ही अपनी-अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। बिहार के इस उपचुनाव का परिणाम न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डालेगा। इसलिए, सभी राजनीतिक दल इस चुनाव को गंभीरता से ले रहे हैं और अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए पूरी ताकत झोंकने की तैयारी कर रहे हैं।