विश्व के महान ऑलराउंडर में शामिल वीनू मांकड़ भारत के महान क्रिकेट खिलाड़ियों में से एक हैं। इनका असली नाम मूलवंतराय हिम्मतलाल मांकड़ था लेकिन लोग इन्हें प्यार से वीनू मांकड़ कहकर बुलाते थे।
मांकड़ पहले ऐसे क्रिकेटर थे जिन्होंने टेस्ट मैच में भारत को 40 साल की उम्र के बाद भी प्रतिनिधित्व किया था। आज शायद ही लोग वीनू मांकड़ को याद करते हों लेकिन इनका नाम विश्व के महान ऑलराउंडरों में गिना जाता है। इस दुनिया को वो अलविदा कह चुके हैं लेकिन आइए इस महान बल्लेबाज के करियर से जुड़ी कुछ अहम बातें हम आपको बताते हैं।
वीनू मांकड़ का जन्म 12 अप्रैल, 1917 को गुजरात में हुआ था और साल 1978 में उन्हेंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इनके बेटे अशोक मांकड़ ने भी भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया।
कमाल के ऑलराउंडर थे वीनू मांकड़। वे दाएँ हाथ के बल्लेबाज और बाएँ हाथ के स्पिन गेंदबाज थे। 1956 में पंकज राय के साथ मिलकर उन्होंने 413 रन की ओपनिंग साझेदारी की। उनका यह रिकॉर्ड पूरे 52 साल बाद टूटा था।
क्रिकेट में कई रिकॉड कायम करने वाले मांकड़ ने साल 1952 में हिस्ट्री में सबसे पहले ऐसे प्लेयर होने का गौरव हासिल किया, जिन्होंने 23 टेस्ट मैचों में ही 1,000 रन स्कोर किए थे और 100 विकेट चटकाए थे। उनके द्वारा बनाया गया ये रिकॉर्ड 27 साल बाद Ian Botham ने तोड़ा था।
1952 में मद्रास में खेले गए मैच में इंग्लैंड के खिलाफ पहली बार भारत को जीत दिलाने का श्रेय भी मांकड़ के ही जाता है। मांकड़ ने पहली इनिंग में 55 रन पर आठ विकेट चटकाए थे और दूसरी में 53 रन पर चार विकेट गिराए थे।
वीनू मांकड़ ने बैटिंग में सभी क्रमों पर खेला है। इनका नाम उन प्लेयर्स के नामों में शुमार है जिन्होंने 1 से लेकर 11 तक सभी पॉजिशन पर बल्लेबाजी की है और 2,109 रन स्कोर करते हुए पांच सेंचुरी बनाई थी। उनका एवरेज 31.47 था।
हाल ही में IPL 2019 में अश्विन का मांकड़ आउट बहुत सुर्खियों में रहा था। इस तरह आउट करने की शुरुआत माकंड़ ने ही की थी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी टेस्ट में भारतीय गेंदबाज वीनू मांकड़ ने विपक्षी बल्लेबाज को कुछ ऐसे आउट किया की सब हैरान रह गए। मांकड़ ने गेंदबाजी करते हुए क्रीज तक पहुँचे बिना गेंद फेंकेने वाले नॉन स्ट्राइकिंग छोर की गिल्लियां बिखेर दीं। बल्लेबाज बिल ब्राउन गेंद डाले जाने के पूर्व ही रन लेने की जल्दबाजी में क्रीज छोड़ चुके थे। मांकड़ ने गिल्ली उड़ाते ही रन आउट की अपील की और अंपायर ने आउट घोषित कर दिया। बाद में यह तरीका क्रिकेट के नियमों में शामिल हो गया और इसका नाम मांकड़ आउट पड़ गया।