पुण्यतिथि विशेष : केपीएस गिल जिन्होंने पंजाब में चरमपंथ का खत्मा किया

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पुण्यतिथि विशेष : केपीएस गिल जिन्होंने पंजाब में चरमपंथ का खत्मा किया

बात जब भी पुलिस की बहादुरी की होती है तो अक्सर हमें कुछ फिल्में याद आती हैं। जैसे दबंग, राउडी राठौड़ सिंघम आदि। लेकिन 1980 के दशक में देश ने ऐसे ही एक जांबाज पुलिस अफसर को देखा जिसने खालिस्तानी चरमपंथ का खात्मा कर दिया था। केपीएस गिल असम कैडर से निकल कर पंजाब आए थे और पंजाब से खालिस्तान की मांग को लेकर हिंसा फैलाने वाले लोगों को खत्म कर दिया। 82 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था।

आइए जानते हैं देश के एक बहादुर ऑफिसर केपीएस गिल के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें..


केपीएस गिल का पूरा नाम कंवर पाल सिंह गिल था उनका जन्म 29 दिसंबर 1934 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था। 1958 में उन्होंने भारतीय पुलिस सर्विस को ज्वॉइन किया। जहां उन्हें नॉर्थ-इस्ट के राज्य असम और मेघालय की कमान सौंपी गई। के पी एस गिल का बेहतर काम उसी समय से सरकार कि नज़रों में आ गया था।

ऑपरेशन ब्लूस्टार

3 जून को ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया गया जब इंडियन आर्मी ने स्वर्ण मंदिर में घुसकर चरमपंथियों को मार गिराया था लेकिन उसके बाद भी चरमपंथ पंजाब से पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद के साल में भी लगभग हजार लोग मारे जा चुके थे और उसके पहले भी करीब 500 लोग मारे गए थे। पंजाब पुलिस का कोई भी अधिकारी पंजाब के हालातों को संभालने के लिए तैयार नहीं था, ऐसे में के पी एस गिल को पंजाब बुलाया गया।

ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद पंजाब में केपीएस गिल के नेतृत्व में ऑपरेशन ‘ब्लैक थंडर’ चलाया गया। यह एक अलग तरह का ऑपरेशन था जिसमें मीडिया को भी कवरेज की ईज़ाजत दी गई थी। यह ऑपरेशन गुरुद्वारे में मौजूद सिख चरमपंथियों को खत्म करने के लिए चलाया गया। जिसमें 40 चरमपंथी मारे गए लेकिन बहुत सारे चरमपंथियों ने सरेंडर भी कर दिया जिसके बाद केपीएस गिल काफी लोकप्रिय हो गए थे।


ऑपरेशन ब्लैक थंडर

ऑपरेशन ब्लैक थंडर नौ दिन तक चला और ऑपरेशन खत्म होने के बाद उन्होंने गुरुद्वारे में भी प्रवेश किया। केपीएस गिल के कारण पंजाब पुलिस का आत्मविश्वास काफी ज्यादा बढ़ गया। 2002 के गुजरात दंगों में भी उन्हें स्थिति संभालने के लिए बुलाया गया था। केपीएस गिल को नक्सलवाद को खत्म करने के लिए छत्तीसगढ़ बुलाया गया था लेकिन रमन सिंह सरकार की उदासीनता के चलते ऐसा नहीं हो पाया। केपी एस गिल ने पंजाब से चरमपंथ को पूरी तरह से खत्म कर दिया था जिसके बाद उन्हें ‘सुपर कॉप’ कहा जाने लगा।

विवाद

1994-2008 तक केपीएस गिल  इंडियन हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष भी रहे जब भारतीय टीम नें एशिया गोल्ड भी जीते थें। इन्होंने इस खेल को तवज्जो दिलाने की कोशिश की थी, आईपीएल की तर्ज पर इन्होंने हॉकी में हॉकी प्रीमियर लीग भी चलाया था। हॉकी के खिलाड़ियों की आर्थिक मदद करने के लिए भी इन्हें याद किया जाता है। केपी एस गिल पर छेड़छाड़ और हॉकी में भ्रष्टाचार करने के भी आरोप लगे इसके बावजूद  इन्हें भारतीय उच्च सम्मान पद्म श्री से नवाजा गया था।

अपनी शर्तों के अनुसार काम करने वाले के पी एस गिल ने लोगों की नजरों मे पुलिस के लिए भी सम्मान पैदा किया। ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद पंजाब में खालिस्तान का खौफ इतना फैल चुका था की जज़ भी आरोपी की आंखों पर पट्टी बांध कर सुनवाई किया करते थे उस खौफ को खत्म करने और पंजाब में शांति स्थापित करने के लिए के पी एस गिल ने जो कदम उठाया उसने बहादुरी की लाईन में पुलिस को भारतीय सेना के बराबर लाकर खड़ा कर दिया था। दिमाग और शक्ति मिलाकर इन्होंने पंजाब में चरमपंथ को जैसे खत्म किया उसके लिए आज भी देश के इस सुपर कॉप की बहादुरी की मिसाल दी जाती है।

26 मई 2017 को केपीएस गिल का दिल्ली के सर गंगा राम हॉस्पिटल में निधन हो गया।

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