राजा रवि वर्मा: देवी-देवताओं को घर-घर पहुंचाने वाले महान चित्रकार

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राजा रवि वर्मा: देवी-देवताओं को घर-घर पहुंचाने वाले महान चित्रकार

राजा रवि वर्मा भारतीय कला के इतिहास में महान चित्रकारों में से एक हैं, जिन्होंने भारतीय साहित्य, संस्कृति और महाभारत व रामायण जैसी पौराणिक कथाओं पर चित्र बनाये। आज उनकी जन्म तिथि है।

अपनी चित्रकारी से इन पात्रों को उजागर करने वाले रवि वर्मा की हिन्दू महाकाव्यों और धर्म ग्रंथों पर बनाए गए चित्र उनकी सबसे बड़ी विशेषता रही। भारतीय परंपरा और यूरोपीय तकनीक के समेकन से चित्रकारी की दुनिया में अपना नाम बनाने वाले रवि वर्मा भारत के साथ विश्व भर में प्रसिद्ध हुए।


शरुआती जीवन

राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल 1848 को केरल के किलिमानूर में हुआ। त्रावणकोर के तत्कालीन महाराजा अयिल्यम थिरूनल ने उन्हें संरक्षण प्रदान किया जिसके बाद उनका विधिवत प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ। चित्रकारी के मूल तत्व उन्होंने मदुरै में सीखे इसके बाद रामा स्वामी नायडू ने उन्हें वाटर पेटिंग में और डच चित्रकार थिओडोर जेंसन ने आयल पेंटिंग में प्रशिक्षण दिया। सबसे पहले उन्होंने पारंपरिक तंजावुर कला शैली का प्रशिक्षणलिया जिसके बाद उन्होंने यूरोपीय कला और तकनीक का अध्ययन किया।

चित्रकारी में उनका करियर

राजा रवि वर्मा और उनके भाई के करियर को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका ब्रिटिश प्रशासक एडगर थर्स्तन ने निभाई। उनको चर्चा वर्ष 1878 में मिली जब विएना के एक प्रदर्शनी में उन्होंने अपनी चित्रकारी का प्रदर्शन किया और इनाम प्राप्त किया। वर्ष 1893 में शिकागो में संपन्न ‘वर्ल्डस कोलंबियन एक्स्पोजिसन’ में उनके चित्रों को भेजा गया, जिसमें उन्होंने तीन स्वर्ण पदक जीते। महाभारत की महत्वपूर्ण कहानियों पर चित्रकारी करने वाले रवि वर्मा ने चित्रकारी के विषयों की तलाश में समूचे देश का भ्रमण किया। उनकी चित्रकारी में महत्वपूर्ण स्थान हिन्दू पौराणिक किरदारों को दिया गया उनकी कृतियां भारत में बहुत लोकप्रिय हैं। उनके कई चित्र बड़ोदा के लक्ष्मी विलास पैलेस में सुरक्षित हैं।

राजा रवि वर्मा की कला कृतियों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।


  • प्रतिकृति या पोर्ट्रेट
  • मानवीय आकृतियों वाले चित्र
  • इतिहास व पौराणिक घटनाओं से संबंधित चित्र

भारत में राजा रवि वर्मा को पहचान उनके पौराणिक व देवी-देवताओं के चित्रों के कारण मिली जबकि उन्हें अपनी ऑईल पेंटिंग के लिए दुनिया के सर्वोत्तम चित्रकारों में से एक माना गया। 2014 में उनपर फिल्म भी बनाई गयी जिसका नाम ‘रंगरसिया’ रखा गया।

इतिहास के इस महान चित्रकार ने 2 अक्टूबर 1906 को दुनिया को अलविदा कह दिया।

सम्मान

राजा रवि वर्मा को वर्ष 1904 में ब्रिटिश इंडिया के वाइसराय लार्ड कर्ज़न ने ब्रिटिश एम्पायर की ओर से ‘कैसर-ए-हिन्द’ स्वर्ण पदक दिया। केरल के मवेलीकारा में रवि वर्मा को समर्पित एक ‘फाइन आर्ट्स’ का कॉलेज स्थापित किया गया। किलिमनूर स्थित ‘राजा रवि वर्मा हाई स्कूल’ समेत कई सांस्कृतिक संस्थाओं का नाम उनके नाम पर हैं। कला के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के चलते वर्ष 2013 में बुद्ध ग्रह पर एक क्रेटर (ज्वालामुखी पहाड़ का मुख) का नाम उनके नाम पर ही रखा गया। साथ ही केरल में ‘राजा रवि वर्मा पुरस्कारम’ की स्थापना रवि वर्मा के सम्मान में की गयी।

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