जयंती विशेष: भारत के पहले युवा राष्ट्रपति थे नीलम संजीव रेड्डी, जानें उनसे जुड़ी कुछ खास बातें

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जयंती विशेष: भारत के पहले युवा राष्ट्रपति थे नीलम संजीव रेड्डी, जानें उनसे जुड़ी कुछ खास बातेंलम संजीव रेड्डी, जानें उनसे जुड़ी कुछ खास बातें

नीलम संजीव रेड्डी भारत के भारत के छठे राष्ट्रपति थे। इसके साथ ही वह राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने वाले पहले युवा राष्ट्रपति थे। भारतीय इतिहास में उन्हें एक महान राजनेता और प्रशंशक के रूप में याद किया जाता है। आज उनकी जयंती है।

भारत के पहले युवा राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 9 मई 1913 को आंध्र प्रदेश में अनंतपुर जिले के इलूर गांव में हुआ था। वह एक तेलुगु परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अडयार (मद्रास) के थियोसोफिकल हाई स्कूल से पूरी की, जिसके बाद उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय के ‘गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की। उन्होंने स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान महात्मा गांधी से प्रभावित होकर वर्ष 1931 में पढ़ाई छोड़ दी और स्वतंत्रता आन्दोलन का हिस्सा बन गए। आगे चल कर वह भारत के राष्ट्रपति बने। उनकी इस जयंती पर जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।


नीलम संजीव रेड्डी के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें

1. नीलम संजीव रेड्डी का जन्म आंध्र प्रदेश के एक तेलुगु कृषक परिवार में हुआ था।

2. उन्होंने मात्र 18 वर्ष की आयु में आजादी के लिए लड़ने का फैसला किया। उन्होंने गांधी जी से प्रभावित होकर अपनी पढ़ाई मध्य में ही छोड़ दी और पहला सत्याग्रह किया।

3. इसके बाद उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस पार्टी के साथ की। वह 1938 में उनको आंध्र प्रदेश प्रांतीय कांग्रेस समिति के सचिव बने। उन्होंने 10 साल तक इस पद को संभाला।


4. भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान भी रेड्डी जेल गए और सन 1940 से 1945 के बीच जेल में ही रहे। उन्हें मार्च 1942 में छोड़ दिया गया पर अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में फिर गिरफ्तार कर लिया गया।

5. अक्टूबर 1956 में वह आन्ध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बनें। इसके बाद 1959 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने 1962 तक इस पद पर काम किया।

6. रेड्डी तीन बार राज्य सभा के सदस्य भी रहे।

7. 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में रेड्डी इस्पात और खनन मंत्री रहे और जनवरी 1966 से मार्च 1967 के मध्य उन्होंने इंदिरा गांधी सरकार में परिवहन, नागरिक उड्डयन, जहाजरानी और पर्यटन मंत्रालय संभाला।

8. रेड्डी वर्ष 1967 के लोक सभा चुनाव में आंध्र प्रदेश के हिन्दुपुर से जीतकर सांसद बने। उसी वर्ष 17 मार्च को उन्हें लोक सभा का अध्यक्ष चुना गया। लोक सभा अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया, ताकि पद को निष्पक्ष और स्वतंत्र रखा जा सके। उन्होंने अध्यक्ष को संसद का प्रहरी कहा और कई मौकों पर इंदिरा गांधी से भी मोर्चा लिया। जिसका खामियाजा उन्हें दो साल बाद राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भुगतना पड़ा।

9. वर्ष 1969 में राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद कांग्रेस पार्टी ने रेड्डी को राष्ट्रपति का उम्मीद्वार चुना, पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया क्योंकि वह इंदिरा गांधी के विरोधी गुट में शामिल थे। प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के डर के कारण इंदिरा गांधी ने अपने सांसदों और विधायकों से कहा कि वो अपनी ‘अंतरात्मा की आवाज़’ पर वोट दें। इसका नतीज़ा यह हुआ कि रेड्डी स्वतंत्र उम्मीद्वार वी. वी. गिरी से चुनाव हार गए।

10. रेड्डी ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए लोक सभा अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। चुनाव हारने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और अनंतपुर जाकर कृषि कार्य में लग गए।

11. सन 1977 के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के मृत्यु के बाद राष्ट्रपति चुनाव कराए गए, जिसमें नीलम संजीव रेड्डी को बिना चुनाव के निर्विरोध राष्ट्रपति चुन लिया गया। इसके साथ वो सबसे कम उम्र में राष्ट्रपति बनने वाले व्यक्ति हो गए। उस समय उनकी उम्र 65 साल थी।

12. नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने तीन अलग-अलग सरकारों के साथ कार्य किया, जिसमें मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह और इंदिरा गांधी की सरकार शामिल थी।

13. साल 1977 को नीलम संजीव रेड्डी को सर्वसम्मति से लोकसभा का स्पीकर भी चुना गया।

14. राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने निमोनिया के चलते 1 जून 1996 को दुनिया को अलविदा कह दिया।

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