बंगाल में कांग्रेस और वाम दलों को होगा नुकसान, भाजपा को मिलेगी बड़ी बढ़त : सर्वे

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नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में 27.3 प्रतिशत वोटों की बड़ी बढ़त प्राप्त हो सकती है। हालांकि पिछली बार के प्रदर्शन से कई गुना अधिक बढ़त के बावजूद पार्टी राज्य में बहुमत में आती दिखाई नहीं दे रही है।

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को पिछले चुनावों के मुकाबले काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है, मगर वह एक साधारण बहुमत के साथ दोबारा से सत्ता में आ सकती है। यह बात सोमवार को आईएएनएस सी-वोटर ओपिनियन पोल में सामने आई।


टीएमसी का इस बार राज्य में 43 प्रतिशत वोट शेयर रह सकता है, जबकि 2016 में पार्टी का 44.9 प्रतिशत वोट शेयर था, जिसमें इस बार 1.9 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीद है।

पश्चिम बंगाल में भाजपा ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 27.3 प्रतिशत वोटर शेयर की बढ़त के साथ इस बार के विधानसभा चुनाव में कुल 37.5 प्रतिशत वोट शेयर पर कब्जा कर सकती है।

ममता की सरकार से पहले लंबे समय तक राज्य में अजेय रहे वाम दल और कांग्रेस के वोट शेयर में बड़ी सेंधमारी की संभावना है। वाम दल और कांग्रेस के गठबंधन को इस बार 20 प्रतिशत से अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।


इसके साथ ही दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) सत्तारूढ़ ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) को हराते हुए बहुमत के आंकड़े को आसानी से पार करने को लेकर तैयार है।

सर्वेक्षण में सामने आया कि असम में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ भाजपा एक और कार्यकाल के लिए वापस आ रही है, वहीं केरल में एलडीएफ भी एंटी इंकम्बेंसी को परास्त करने में सफल रहती दिखाई दे रही है। अन्नाद्रमुक को हालांकि पुदुचेरी में बढ़त मिल सकती है।

सर्वेक्षण के अनुसार, 126 सीटों वाली असम विधानसभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) फिलहाल 77 सीटों के साथ सत्ता में आती दिखाई दे रही है। गठबंधन को 2016 में जीती गई 86 सीटों के मुकाबले नौ सीटें कम मिलने की संभावना है। वहीं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) को पिछली बार की 26 सीटों से 14 सीटों की बढ़त के साथ 40 सीटें मिलने की उम्मीद है।

असम की तरह ही केरल में भी मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की अगुवाई वाली एलडीएफ 85 सीटों के साथ सत्ता वापसी करती दिखाई दे रही है। एलडीएफ ने 2016 में 140 सदस्यों वाली विधानसभा में 91 सीटों की अपेक्षा इस बार छह सीटें कम मिल सकती हैं।

पिनाराई 46.7 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं के साथ बेहद लोकप्रिय बने हुए हैं। यूडीएफ के नेतृत्व वाली कांग्रेस को पिछले चुनाव में 47 सीटों की अपेक्षा इस बार छह सीटों की बढ़त के साथ 53 सीटें मिलने की उम्मीद है।

294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा में टीएमसी की ओर से 154 सीटों पर जीत हासिल करने का अनुमान है। पार्टी को 2016 में मिली 211 सीटों के मुकाबले 53 सीटें कम मिलने की उम्मीद है। इस चुनाव में भाजपा सरकार बनाती बेशक न दिखाई दे रही हो, मगर वह पिछले बार की तीन सीटों के मुकाबले आगामी विधानसभा चुनाव में 102 सीटें जीत सकती है। भगवा पार्टी राज्य में अपने पिछले प्रदर्शन से ऐतिहासिक रूप से 99 सीटें अधिक जीत सकती है।

तमिलनाडु में द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन बड़ा लाभ उठाता दिख रहा है और विधानसभा चुनाव जीतने के लिए तैयार है। 234 सीटों वाली विधानसभा में संप्रग के दो तिहाई बहुमत के साथ 162 सीटों पर जीत हासिल करने का अनुमान है।

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी मुख्यमंत्री के रूप में 48.8 प्रतिशत मतों के साथ आगे दिखाई दे रही हैं। इसके बाद भाजपा के राज्य अध्यक्ष दिलीप घोष 18.7 प्रतिशत वोटों के साथ मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं। यही नहीं 13.4 प्रतिशत उत्तरदाता तो ऐसे रहे, जो कि बीसीसीआई अध्यक्ष और पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं।

दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की बात करें तो यहां द्रमुक प्रमुख एम. के. स्टालिन 36.4 प्रतिशत के साथ सबसे उपयुक्त मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। वहीं 25.5 प्रतिशत के साथ मुख्यमंत्री पलानीस्वामी, 10.9 प्रतिशत के साथ अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता ओ. पन्नीरसेल्वम के नाम शामिल है।

वहीं असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनवाल 30 प्रतिशत के साथ इस दौड़ में आगे हैं। इसके बाद भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सरमा 21.6 प्रतिशत और कांग्रेस नेता गौरव गोगोई 18.8 प्रतिशत के साथ दूसरे और तीसने नंबर पर हैं।

–आईएएनएस

एकेके/एएनएम

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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