बॉम्बे हाईकोर्ट ने युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के तलाक पर सुनवाई के लिए परिवार अदालत को दिए आदेश

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मुंबई: भारतीय क्रिकेटर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) और उनकी अलग रह रही पत्नी धनश्री वर्मा (Dhanashree Verma) के तलाक मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी के तहत छह महीने की प्रतीक्षा अवधि (कूलिंग-ऑफ पीरियड) को माफ करने की याचिका को मंजूरी दे दी।

एकल-न्यायाधीश जस्टिस माधव जमदार ने आदेश पारित करते हुए परिवार अदालत को निर्देश दिया कि वह इस तलाक मामले का निपटारा कल तक करे, क्योंकि चहल को आगामी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में भाग लेना है।


तलाक प्रक्रिया में क्यों हटाया गया ‘कूलिंग-ऑफ पीरियड’?

कोर्ट ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि चहल और धनश्री पिछले ढाई साल से अलग रह रहे हैं। इसके अलावा, दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता के दौरान तय की गई सहमति शर्तों (Consent Terms) का पालन भी किया गया था, जिसमें गुजारा भत्ते (Alimony) के भुगतान की शर्तें शामिल थीं।

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी(2) के तहत पारिवारिक अदालत किसी भी आपसी सहमति से तलाक (Mutual Divorce) की याचिका पर छह महीने बाद ही विचार कर सकती है। यह अवधि इस उद्देश्य से दी जाती है कि पति-पत्नी के बीच सुलह की संभावना तलाशी जा सके।

हालांकि, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सुलह की कोई गुंजाइश नहीं है, तो यह अवधि हटाई जा सकती है।


क्या है पूरा मामला?

युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा ने दिसंबर 2020 में शादी की थी, लेकिन जून 2022 में दोनों अलग हो गए।

इसके बाद, दोनों ने 5 फरवरी 2024 को पारिवारिक अदालत में आपसी सहमति से तलाक की याचिका दायर की और ‘कूलिंग-ऑफ पीरियड’ को माफ करने की भी मांग की।

लेकिन 20 फरवरी को पारिवारिक अदालत ने यह कहते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी कि सहमति शर्तों का केवल आंशिक रूप से पालन किया गया है। अदालत ने पाया कि चहल को धनश्री को ₹4.75 करोड़ का गुजारा भत्ता देना था, लेकिन उन्होंने अभी तक केवल ₹2.37 करोड़ का भुगतान किया था।

इसके अलावा, विवाह सलाहकार (Marriage Counselor) की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि मध्यस्थता के प्रयासों का केवल आंशिक रूप से पालन किया गया है।

हाईकोर्ट का अंतिम फैसला

इस फैसले के खिलाफ चहल और धनश्री ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने पाया कि सहमति शर्तों के अनुसार गुजारा भत्ते की दूसरी किश्त का भुगतान तलाक की डिक्री मिलने के बाद ही किया जाना था।

इसी आधार पर हाईकोर्ट ने कूलिंग-ऑफ पीरियड को माफ कर दिया और तलाक पर जल्द सुनवाई के लिए पारिवारिक अदालत को निर्देश दिए।

अब परिवार अदालत गुरुवार को इस तलाक मामले पर अंतिम फैसला लेगी।

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