नई दिल्ली: भारत-चीन के दरमियान लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर जारी कशीदगी के बीच दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के एक सेक्शन का ठेका चीनी कंपनी को मिल गया है। यह कंपनी न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद तक की बीच 5.6 किलोमीटर के भूमिगत स्ट्रेच की तामीर करेगी। इसकी खबर मिलते ही लोगों में काफी गुस्सा है और लोग सोशल मीडिया पर इसका जमकर विरोध कर रहे हैं। जिसके बाद #BoycottChina सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगा।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने चीनी सामानों के बहिष्कार की बात की । बुधवार को, आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने भी सरकार से चीनी फर्मों और कंपनियों को परियोजनाएं देने से रोकने की अपील की।
CAIT targets to reduce Chinese imports to Rs 1 lakh crore in 2021 https://t.co/20LlCaaGuA @praveendel @BCBHARTIA @sumitagarwal_82 @narendramodi @AmitShah @rajnathsingh @PiyushGoyal @nsitharaman @DIPPGOI @Wangchuk66 @DrMohanBhagwat @FinMinIndia @AimraIndia @AICPDF
— Confederation of All India Traders (CAIT) (@CAITIndia) January 4, 2021
बता दें आपको कि नेशनल कैपिटल्स रीजनल ट्रांस्पोर्ट कॉर्पोरेशन (NCRTC) ने दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल सिस्टम के एक हिस्सो ठेका चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को दिया है। क्योंकि पिछले साल जून में प्रोजेक्ट के लिए इस कंपनी ने सबसे कम बोली लगाई थी। उस वक्त इस बात को लेकर काफी विवाद हुआ ता जिसके बाद कंपनी के ठेके को रोक दिया गया था।
क्या है दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल प्रोजेक्ट
नरेंद्र मोदी सरकार ने दिल्ली और मेरठ के बीच सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के इस प्रोजेक्ट को फरवरी 2018 में मंजूरी दी थी। 82.15 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम यानी आरआरटीएस (RRTS) को पूरा करने में कुल 30,274 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद दिल्ली और मेरठ तक के सफर में लगने वाला वक्त कम हो जाएगा। 82.15 किलोमीटर लंबे आरआरटीएस में 68.03 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और 14.12 किलोमीटर अंडरग्राउंड होगा।